a

शनिवार, 30 नवंबर 2013

आइसक्रीम की कीमत





एक आइसक्रीम वाला रोज एक मोहल्ले में आइसक्रीम बेचने जाया करता था , उस कालोनी में सारे पैसे वाले लोग रहा करते थे . लेकिन वह एक परिवार ऐसा भी था जो आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. उनका एक चार साल का बेटा था जो हर दिन खिड़की से उस आइसक्रीम वाले को ललचाई नजरो से देखा करता था. आइसक्रीम वाला भी उसे पहचानने लगा था . लेकिन कभी वो लड़का घर से बाहर नहीं आया आइसक्रीम खाने .



एक दिन उस आइसक्रीम वाले का मन नहीं माना तो वो खिड़की के पास जाकर उस बच्चे से बोला ,
" बेटा क्या आपको आइसक्रीम अच्छी नहीं लगती. आप कभी मेरी आइसक्रीम नहीं खरीदते ? "
उस चार साल के बच्चे ने बड़ी मासूमियत के साथ कहा ,

" मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद हे . पर माँ के पास पैसे नहीं हे "
उस आइसक्रीम वाले को यह सूनकर उस बच्चे पर बड़ा प्यार आया . उसने कहा ,
" बेटा तुम मुझसे रोज आइसक्रीम ले लिया करो. मुझसे तुमसे पैसे नहीं चाहिए "
वो बच्चा बहुत समझदार निकला . बहुत सहज भाव से बोला ,
" नहीं ले सकता , माँ ने कहा हे किसी से मुफ्त में कुछ लेना गन्दी बात होती हे , इसलिए में कुछ दिए बिना आइसक्रीम नहीं ले सकता "

वो आइसक्रीम वाला बच्चे के मुह से इतनी गहरी बात सूनकर आश्चर्यचकित रह गया . फिर उसने कहा ,
" तुम मुझे आइसक्रीम के बदले में रोज एक पप्पी दे दिया करो . इस तरह मुझे आइसक्रीम की कीमत मिल जाया करेगी "
बच्चा ये सुकर बहुत खुश हुआ वो दौड़कर घर से बाहर आया . आइसक्रीम वाले ने उसे एक आइसक्रीम दी और बदले में उस बच्चे ने उस आइसक्रीम वाले के गालो पर एक पप्पी दी और खुश होकर घर के अन्दर भाग गया .
अब तो रोज का यही सिलसिला हो गया. वो आइसक्रीम वाला रोज आता और एक पप्पी के बदले उस बच्चे को आइसक्रीम दे जाता .
करीब एक महीने तक यही चलता रहा . लेकिन उसके बाद उस बच्चे ने अचानक से आना बंद कर दिया . अब वो खिड़की पर भी नजर नहीं आता था .
जब कुछ दिन हो गए तो आइसक्रीम वाले का मन नहीं मन और वो उस घर पर पहुच गया . दरवाजा उस बालक की माँ ने खोला . आइसक्रीम वाले ने उत्सुकता से उस बच्चे के बारे में पूछा तो उसकी माँ ने कहा ,
" देखिये भाई साहब हम गरीब लोग हे . हमारे पास इतना पैसा नहीं के अपने बच्चे को रोज आइसक्रीम खिला सके . आप उसे रोज मुफ्त में आइसक्रीम खिलाते रहे. जिस दिन मुझे ये बात पता चली तो मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई .आप एक अच्छे इंसान हे लेकिन में अपने बेटे को मुफ्त में आइसक्रीम खाने नहीं दे सकती . "

बच्चे की माँ की बाते सूनकर उस आइसक्रीम वाले ने जो उत्तर दिया वो आप सब के लिए सोचने का कारण बन सकता हे ,

" बहनजी , कौन कहता हे की में उसे मुफ्त में आइसक्रीम खिलाता था . में इतना दयालु या उपकार करने वाला नहीं हु में व्यापार करता हु . और आपके बेटे से जो मुझे मिला वो उस आइसक्रीम की कीमत से कही अधिक मूल्यवान था . और कम मूल्य की वास्तु का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार हे ,
एक बच्चे का निश्छल प्रेम पा लेना सोने चांदी के सिक्के पा लेने से कही अधिक मूल्यवान हे . आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे संस्कार दिए हे लेकिन में आपसे पूछता हु क्या प्रेम का कोई मूल्य नहीं होता ?"
उस आइसक्रीम वाले के अर्थपूर्ण शब्द सूनकर बालक की माँ की आँखे भीग गयी उन्होंने बालक को पुकारा तो वो दौड़कर आ गया . माँ का इशारा पाते ही बालक दौड़कर आइसक्रीम वाले से लिपट गया . आइसक्रीम वाले ने बालक को गोद में उठा लिया और बाहर जाते हुए कहने लगा ,

" तुम्हारे लिए आज चोकलेट आइसक्रीम लाया हु . तुझे बहुत पसंद हे न ?"
बच्चा उत्साह से बोला ,

" हां बहुत "

बालक की माँ ख़ुशी से रो पड़ती है...

आपने पूरी पोस्ट  पढ़ी धन्यवाद 

  Read more:www.manishpdixit.blogspot.com

शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

शेर का बच्चा

विवेकानंद  जी  ने एक कहानी का जिक्र बार बार किया है | एक शेर का बच्चा अपने झुण्ड सेबिछड जाता है और भेंड़ों के झुण्ड में जा मिलता है। 





उसका लालन पालन 
भेंड़ों की तरह होता है 

और उसमे भेंड के सारे गुणआ जातें हैं | एक दिन उस भेंड़ों के झुण्ड पर एकशेर आक्रमण कर देता है सारे भेंड अपनी जानले कर भागतें हैं | शेर का बच्चा भी भागता है |शेर को यह सब देख कर मारे आश्चर्यकी उसकी आँखें फटी रह जाती है | वहभेंड़ों को छोड़ कर पहले शेर के बच्चे को पहलेदबोचता है | शेर का बच्चा मिमियाने लगता है |शेर उस बच्चे से पूछता है की भेंड तो भाग गएकोई बात नहीं लेकिन तुम क्यों भाग रहे हो ? शेरका बच्चा मिमियाने लगता है | शेर को बातसमझ में आ जाती है ,पास हीं नदी बहरही होती है | शेर उस बच्चे का गर्दन पकड करनदी में उसका छवि दिखाता है | शेरका बच्चा अपने को पहचान कर जोरदार गर्जनकरता है | शेर को मारे खुशी के आंसू छलकआतें हैं |हम भटके हुए शेर के बच्चे हैं | समय समय परकोई कृष्ण अपने गीता के माध्यम से हमें हम शेरहैं बताने आतें हैं | कोई मोहमद अपने कुरान केमाध्यम से ,कोई जीसस अपने बाइबल केमाध्यम से ये बताता है कि हम शेर हैं और खुदको भेंड समझ बैठ हैं और जब हम खुदको पहचानतें हैं तो जितनी खुशी हमें होती हैउतनी हीं खुशी किसी कृष्ण ,मोहमद या जीससया किसी भी सद्गुरु को भी होती है |वर्तमान में भारत की जो दुर्दशा यहाँ केभ्रष्टों ने ,अतितायिओं ने बना रखी है ऐसे मेंहमें अपने शेर होने का परिचय देना हीं होगा | हमशेर बन कर भ्रष्टों के गले दबोचे और एक एकचीज का हिसाब मांगे | हम शेर हैं और शेरकी तरह जियें | हमारे नस नस में रक्त की जगहलावा बह रही है | हम ऊर्जा और शक्ति केश्रोत हैं | हम ईश्वरपुत्र हैं यानी ईश्वर हीं हैंऐसे भाव के साथ जियें |

Read more:www.manishpdixit.blogspot.com

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

जानिए अपने बच्चे कि सम्भावित height के बारे में

हर माँ बाप कि आंतरिक इच्छा होती है अपनी संतान  के बारे में जानने के लिए, माँ बाप जानना चाहते है कि बड़ा होकर बेटा कैसा होगा वो अपने बाप  जैसा होगा या माँ जैसा।







आज मै  आपको  ऐसा  लिंक दे  रहा हूँ।  जिसमे आप थोड़ी सी जानकारी  भरके अपने बच्चे के फ्यूचर के बारे महत्व  में जान सकते हो,  और  उसके प्रति सचेत हो सकते है।

आपको जो जानकारी भरनी होगी  वो होगी पिता कि height  और माँ कि height और उसके बाद ok क्लिक करने पर आप जानकारी प्राप्त कर सकते है।

इस लिंक से आप अपने बच्चे कि होने वाली सम्भावित height  के बारे में जान सकते है।

जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।

Read more:www.manishpdixit.blogspot.com

बुधवार, 27 नवंबर 2013

पर्स में फोटो



यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई. को एक पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने पर्स को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश की कि वह किसका है। लेकिन पर्स में ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई सुराग मिल सके। पर्स में कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण की फोटो थी। फिर उस टी.टी.ई. ने हवा में पर्स हिलाते हुए पूछा - "यह किसका पर्स है? "

एक बूढ़ा यात्री बोला - "यह मेरा पर्स है। इसे कृपया मुझे दे दें। " टी.टी.ई. ने कहा - "तुम्हें यह साबित करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है। केवल तभी मैं यह पर्स तुम्हें लौटा सकता हूं। " उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन मुस्कान के साथ उत्तर दिया - "इसमें भगवान श्रीकृष्ण की फोटो है। " टी.टी.ई. ने कहा - "यह कोई ठोस सबूत नहीं है। किसी भी व्यक्ति के पर्स में भगवान श्रीकृष्ण की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है? पर्स में तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है? "

बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए बोला - "मैं तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस पर्स में क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था, तब ये पर्स मेरे पिता ने मुझे दिया था। उस समय मुझे जेबखर्च के रूप में कुछ पैसे मिलते थे। मैंने पर्स में अपने माता-पिता की फोटो रखी हुयी थी।
जब मैं किशोर अवस्था में पहुंचा, मैं अपनी कद-काठी पर मोहित था। मैंने पर्स में से माता-पिता की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगा ली। मैं अपने सुंदर चेहरे और काले घने बालों को देखकर खुश हुआ करता था। कुछ साल बाद मेरी शादी हो गयी। मेरी पत्नी बहुत सुंदर थी और मैं उससे बहुत प्रेम करता था। मैंने पर्स में से अपनी फोटो हटाकर उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे को निहारा करता।
जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने बच्चे के साथ खेलने के लिए काम पर कम समय खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर जाता ओर जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब मेरे पर्स में मेरे बच्चे की फोटो आ गयी थी। "


बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ बोलना जारी रखा - "कई वर्ष पहले मेरे माता-पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले वर्ष मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी। मेरा इकलौता पुत्र अपने परिवार में व्यस्त है। उसके पास मेरी देखभाल का क्त नहीं है। जिसे मैंने अपने जिगर के टुकड़े की तरह पाला था, वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है। अब मैंने भगवान कृष्ण की फोटो पर्स में लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह एहसास हो गया होता। जैसा प्रेम मैंने अपने परिवार से किया, वैसा प्रेम यदि मैंने ईश्वर के साथ किया होता तो आज मैं इतना अकेला नहीं होता। "

टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स लौटा दिया। अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने बुकस्टाल पर पहुंचा और विक्रेता से बोला - "क्या तुम्हारे पास भगवान की कोई फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने के लिए चाहिए। "

Read more:www.manishpdixit.blogspot.com

मंगलवार, 26 नवंबर 2013

रेप और सेक्सुअल हरैसमेंट को लेकर क्या है गाइडलाइन्स और कानून

वाया-नवभारत टाइम्स
हाल ही में गोवा में एक महिला पत्रकार ने सेक्शुअल हरैसमेंट का आरोप लगाया जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपी के खिलाफ रेप का केस दर्ज कर लिया है। वर्क प्लेस पर सेक्शुअल हरैसमेंट का मामला हो या फिर कहीं और, ऐसे मामलों में क्या कहता है कानून, यह जानना जरूरी है। साथ ही नए ऐंटि रेप लॉ में क्या कानूनी प्रावधान किए गए हैं, इस बारे में विस्तार से जानना जरूरी है।

हाई कोर्ट के सरकारी वकील नवीन शर्मा बताते हैं कि जो भी मामला संज्ञेय है, उसमें पुलिस पीड़िता की शिकायत पर या फिर खुद संज्ञान लेकर केस दर्ज कर सकती है। लेकिन लड़की का बयान ऐसे मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है।

1997 में सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा जजमेंट के तहत गाइडलाइंस बनाई थी। इस मामले में महिला ने एक पीआईएल दाखिल की थी और वर्क प्लेस पर होने वाले सेक्शुअल हरैसमेंट को रोकने के लिए प्रावधान किए जाने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइडलाइंस बनाई थी, जो तमाम दफ्तरों में लागू है। इसके तहत एंप्लॉयर की जिम्मेदारी है कि वह गुनहगार के खिलाफ कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने 12 गाइडलाइंस बनाई हैं जिनके तहत अनुशासनात्मक से लेकर क्रिमिनल कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है।


-एंप्लॉयर या अन्य जिम्मेदार अधिकारी की ड्यूटी है कि वह सेक्शुअल हरैसमेंट को रोके।

-सेक्शुअल हरैसमेंट के दायरे में शारीरिक छेड़छाड़, शारीरिक टच करना, सेक्सुअल फेवर की डिमांड या आग्रह करना, महिला सहकर्मी को पॉर्न दिखाना, अन्य तरह से आपत्तिजनक व्यवहार करना या फिर इशारा करना आता है।

-इन मामलों के अलावा अगर कोई ऐसा ऐक्ट जो आईपीसी के तहत ऑफेंस है तो एंप्लॉयर की ड्यूटी है कि वह इस मामले में कार्रवाई करते हुए संबंधित अथॉरिटी को शिकायत करे।

-इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि विक्टिम अपने दफ्तर में किसी भी तरह से पीड़ित-शोषित नहीं होगी।

-इस तरह की कोई भी हरकत दुर्व्यवहार के दायरे में होगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

-प्रत्येक दफ्तर में एक कंप्लेंट कमिटी होगी जिसकी चीफ महिला होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि कमिटी में महिलाओं की संख्या आधे से कम न हो। साथ ही साल भर में आई शिकायतों और कार्रवाई के बारे में सरकार को रिपोर्ट करना होगा।

-मौजूदा समय में वर्क प्लेस पर सेक्शुअल हरैसमेंट रोकने के लिए विशाखा जजमेंट के तहत ही कार्रवाई होती है। इस बाबत कोई कानून नहीं है, इस कारण गाइडलाइंस प्रभावी है।

-अगर कोई ऐसी हरकत जो आईपीसी के तहत अपराध है, तो उस मामले में शिकायत के बाद केस दर्ज किया जाता है। कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई होती है। साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाती है।

16 दिसंबर की गैंग रेप की घटना के बाद सरकार ने वर्मा कमिशन की सिफारिश पर ऐंटि रेप लॉ बनाया गया है। इसके तहत जो कानूनी प्रावधान किए गए हैं, उसमें रेप की परिभाषा में बदलाव किया गया है। सीनियर ऐडवोकेट रमेश गुप्ता के मुताबिक, आईपीसी की धारा-375 के तहत रेप के दायरे में प्राइवेट पार्ट या फिर ओरल सेक्स दोनों को ही रेप माना गया है। साथ ही प्राइवेट पार्ट के पेनिट्रेशन के अलावा किसी चीज के पेनिट्रेशन को भी इस दायरे में रखा गया है।

-अगर कोई शख्स किसी महिला के प्राइवेट पार्ट या फिर अन्य तरीके से पेनिट्रेशन करता है तो वह रेप होगा।

-अगर कोई शख्स महिला के प्राइवेट पार्ट में अपने शरीर का अंग या फिर अन्य चीज डालता है तो वह रेप होगा।

-बलात्कार के वैसे मामले जिसमें पीड़िता की मौत हो जाए या कोमा में चली जाए, तो फांसी की सजा का प्रावधान किया गया।

-रेप में कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है।

-नए कानून के तहत छेड़छाड़ के मामलों को नए सिरे से परिभाषित किया गया है। इसके तहत आईपीसी की धारा-354 को कई सब सेक्शन में रखा गया है।

-354 ए के तहत प्रावधान है कि सेक्सुअल नेचर का कॉन्टैक्ट करना, सेक्सुअल फेवर मांगना आदि छेड़छाड़ के दायरे में आएगा। इसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

-अगर कोई शख्स किसी महिला पर सेक्सुअल कॉमेंट करता है तो एक साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

-354 बी के तहत अगर कोई शख्स महिला की इज्जत के साथ खेलने के लिए जबर्दस्ती करता है या फिर उसके कपड़े उतारता है या इसके लिए मजबूर करता है तो 3 साल से लेकर 7 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

-354 सी के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स किसी महिला के प्राइवेट ऐक्ट की तस्वीर लेता है और उसे लोगों में फैलाता है तो ऐसे मामले में एक साल से 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर दोबारा ऐसी हरकत करता है तो 3 साल से 7 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

-354 डी के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स किसी महिला का जबरन पीछा करता है या कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करता है तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

-जो भी मामले संज्ञेय अपराध यानी जिन मामलों में 3 साल से ज्यादा सजा का प्रावधान है, उन मामलों में शिकायती के बयान के आधार पर या फिर पुलिस खुद संज्ञान लेकर केस दर्ज कर सकती है।

-जो मामले असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं, उसमें पीड़िता अदालत में कंप्लेंट केस दाखिल कर सकती है जिसके बाद अदालत साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को समन जारी करता है और फिर केस चलता है।

रविवार, 24 नवंबर 2013

बुखारी

सऊदी अरब में बुखारी नामक एक विद्वान रहते थे। वह अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर थे। एक बार वह समुद्री जहाज से लंबी यात्रा पर निकले। उन्होंने सफर के खर्च के लिए एक हजार दीनार अपनी पोटली में बांध कर रख लिए। यात्रा के दौरान बुखारी की पहचान दूसरे यात्रियों से हुई। बुखारी उन्हें ज्ञान की बातें बताते।

यात्रियों की तलाशी शुरू हुई। जब बुखारी की बारी आई तो जहाज के कर्मचारियों और यात्रियों ने उनसे कहा, ‘अरे साहब, आपकी क्या तलाशी ली जाए। आप पर तो शक करना ही गुनाह है।’ यह सुन कर बुखारी बोले, ‘नहीं, जिसके दीनार चोरी हुए है उसके दिल में शक बना रहेगा। इसलिए मेरी भी तलाशी भी जाए।’ बुखारी की तलाशी ली गई। उनके पास से कुछ नहीं मिला।दो दिनों के बाद उसी यात्री ने उदास मन से बुखारी से पूछा, ‘आपके पास तो एक हजार दीनार थे, वे कहां गए?’ बुखारी ने मुस्करा कर कहा, ‘उन्हें मैंने समुद्र में फेंक दिया। तुम जानना चाहते हो क्यों? क्योंकि मैंने जीवन में दो ही दौलत कमाई थीं- एक ईमानदारी और दूसरा लोगों का विश्वास। अगर मेरे पास से दीनार बरामद होते और मैं लोगों से कहता कि ये मेरे हैं तो लोग यकीन भी कर लेते लेकिन फिर भी मेरी ईमानदारी और सच्चाई पर लोगों का शक बना रहता। मैं दौलत तो गंवा सकता हूं लेकिन ईमानदारी और सच्चाई को खोना नहीं चाहता।’उस यात्री ने बुखारी से माफी मांगी।

शनिवार, 23 नवंबर 2013

सातवां घड़ा

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।दोस्तों कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?

इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
खाने के शौकिन लोग जब खाने का लुत्फ उठाते हैं तो उन्हें ध्यान ही नहीं रहता कि खाने के भी कुछ नियम होते हैं। आयुर्वेद में ऐसी कई चीजों का वर्णन मिलता है जिन्हें साथ खाना सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। इन्हीं चीजों के बारे में हम कई बार अपने घर के बड़े- बूढ़ों से भी सुनते है, लेकिन अंधविश्वास समझकर उनकी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। दरअसल बहुत कम लोग जानते हैं कि फूड कॉम्बिनेशन का भी सेहत पर अच्छा व बुरा प्रभाव पड़ता है।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
कोल्डड्रिंक के बाद पानमसाला- कोल्डड्रिंक पीने के बाद  या पहले कभी भी पिपरमेंट युक्त पानमसाला या कोई अन्य चीज सेवन नहीं करना चाहिए। कोल्डड्रिंक व पिपरमेंट को मिलाने पर साइनाइड बनता है जो कि जहर के समान कार्य करता है।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?

आलू और चावल- कई लोग आलू व चावल के शौकिन होते हैं, लेकिन आलू व चावल के शौकिनों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इन दोनों को एक साथ न खाएं। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?

प्याज और दूध- प्याज और दूध को कभी एक साथ नहीं लेना चाहिए। प्याज के साथ दूध के सेवन से कई तरह के त्वचा रोग जैसे दाद,खाज ,खुजली,एगसिमा ,सोराईसिस, आदि होने की संभावना होती है।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?


दही व मछली - दही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए। इससे गैस, एलर्जी और स्किन की बीमारी हो सकती है। दही के अलावा शहद को भी गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
खाने के साथ फल - आयुर्वेद के अनुसार खाने के साथ फल नहीं खाने चाहिए। दोनों ही चीजों का कार्बोहाइड्रेट और प्रोटींस के पाचन का मिकैनिज्म अलग होता है।  नीबू, संतरा, अनन्नास आदि खट्टे फल एसिडिक होते हैं। दोनों को साथ खाया जाए तो कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। इससे कब्ज, डायरिया या अपच हो सकती है। 
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
दूध के साथ नींबू - दूध के साथ नींबू या खटाई य़ुक्त चीजों को लेना सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। दोनों का एक साथ सेवन करने पर एसीडिटी हो जाती है।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
दूध के साथ दही- दूध के साथ दही लेना भी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। दूध और दही दोनों की तासीर अलग होती है। इन्हें साथ लेने पर पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
चिकन के साथ मिठाई- चिकन के साथ ज्यूस या मिठाई आदि का शौक रखने वालों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से पेट खराब हो सकता है। 
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
उड़द की दाल के साथ दही- उड़द की दाल के साथ दही खाना बहुत नुकसान पहुंचाने वाला होता है माना जाता है कि इसके लगातार सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
इन्हें एक साथ कभी न खाएं, चीजें जिन्हें साथ खाने पर बन जाता है जहर?
दही के साथ न खाएं पराठें- दही के साथ पराठा या अन्य तली-भुनी चीजों को लेने पर दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलने वाली एनर्जी शरीर को नहीं मिल पाती।



Read more:http\\www.manishpdixit.blogspot.com

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

भारत में प्लास्टिक सर्जरी का इतिहास

प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) जो आज की सर्जरी की दुनिया मे आधुनिकतम विद्या है इसका अविष्कार भारत मे हुअ है| सर्जरी का अविष्कार तो हुआ हि है प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भी यहाँ हि हुआ है| प्लास्टिक सर्जरी मे कहीं की प्रचा को काट के कहीं लगा देना और उसको इस तरह से लगा देना की पता हि न चले यह विद्या सबसे पहले दुनिया को भारत ने दी है|

1780 मे दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य के एक बड़े भू भाग का राजा था हयदर अली| 1780-84 के बीच मे अंग्रेजों ने हयदर अली के ऊपर कई बार हमले किये और एक हमले का जिक्र एक अंग्रेज की डायरी मे से मिला है| एक अंग्रेज का नाम था कोर्नेल कूट उसने हयदर अली पर हमला किया पर युद्ध मे अंग्रेज परास्त हो गए और हयदर अली ने कोर्नेल कूट की नाक काट दी|

कोर्नेल कूट अपनी डायरी मे लिखता है के “मैं पराजित हो गया, सैनिको ने मुझे बन्दी बना लिया, फिर मुझे हयदर अली के पास ले गए और उन्होंने मेरा नाक काट दिया|” फिर कोर्नेल कूट लिखता है के “मुझे घोडा दे दिया भागने के लिए नाक काट के हात मे दे दिया और कहा के भाग जाओ तो मैं घोड़े पे बैठ के भागा| भागते भागते मैं बेलगाँव मे आ गया, बेलगाँव मे एक वैद्य ने मुझे देखा और पूछा मेरी नाक कहाँ कट गयी? तो मैं झूट बोला के किसीने पत्थर मार दिया, तो वैद्य ने बोला के यह पत्थर मारी हुई नाक नही है यह तलवार से काटी हुई नाक है, मैं वैद्य हूँ मैं जानता हूँ| तो मैंने वैद्य से सच बोला के मेरी नाक काटी गयी है| वैद्य ने पूछा किसने काटी? मैंने बोला तुम्हारी राजा ने काटी| वैद्य ने पूछा क्यों काटी तो मैंने बोला के उनपर हमला किया इसलिए काटी|फिर वैद्य बोला के तुम यह काटी हुई नाक लेके क्या करोगे? इंग्लैंड जाओगे? तो मैंने बोला इच्छा तो नही है फिर भी जाना हि पड़ेगा|”

यह सब सुनके वो दयालु वैद्य कहता है के मैं तुम्हारी नाक जोड़ सकता हूँ, कोर्नेल कूट को पहले विस्वास नही हुआ, फिर बोला ठेक है जोड़ दो तो वैद्य बोला तुम मेरे घर चलो| फिर वैद्य ने कोर्नेल को ले गया और उसका ऑपरेशन किया और इस ऑपरेशन का तिस पन्ने मे वर्णन है| ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हो गया नाक उसकी जुड़ गयी, वैद्य जी ने उसको एक लेप दे दिया बनाके और कहा की यह लेप ले जाओ और रोज सुबह शाम लगाते रहना| वो लेप लेके चला गया और 15-17 दिन के बाद बिलकुल नाक उसकी जुड़ गयी और वो जहाज मे बैठ कर लन्दन चला गया|

फिर तिन महीने बाद ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे खड़ा हो कोर्नेल कूट भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल पूछता है सबसे के आपको लगता है के मेरी नाक कटी हुई है? तो सब अंग्रेज हैरान होक कहते है अरे नही नही तुम्हारी नाक तो कटी हुई बिलकुल नही दिखती| फिर वो कहानी सुना रहा है ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे के मैंने हयदर अली पे हमला किया था मैं उसमे हार गया उसने मेरी नाक काटी फिर भारत के एक वैद्य ने मेरी नाक जोड़ी और भारत की वैद्यों के पास इतनी बड़ी हुनर है इतना बड़ा ज्ञान है की वो काटी हुई नाक को जोड़ सकते है|

फिर उस वैद्य जी की खोंज खबर ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे ली गयी, फिर अंग्रेजो का एक दल आया और बेलगाँव की उस वैद्य को मिला, तो उस वैद्य ने अंग्रेजो को बताया के यह काम तो भारत के लगभग हर गाँव मे होता है; मैं एकला नहीं हूँ ऐसा करने वाले हजारो लाखों लोग है| तो अंग्रेजों को हैरानी हुई के कोन सिखाता है आपको ? तो वैद्य जी कहने लगे के हमारे इसके गुरुकुल चलते है और गुरुकुलों मे सिखाया जाता है|

फिर अंग्रेजो ने उस गुरुकुलों मे गए उहाँ उन्होंने एडमिशन लिया, विद्यार्थी के रूप मे भारती हुए और सिखा, फिर सिखने के बाद इंग्लॅण्ड मे जाके उन्होंने प्लास्टिक सर्जरी शुरू की| और जिन जिन अंग्रेजों ने भारत से प्लास्टिक सर्जरी सीखी है उनकी डायरियां हैं| एक अंग्रेज अपने डायरी मे लिखता है के ‘जब मैंने पहली बार प्लास्टिक सर्जरी सीखी, जिस गुरु से सीखी वो भारत का विशेष आदमी था और वो नाइ था जाती का| मने जाती का नाइ, जाती का चर्मकार या कोई और हमारे यहाँ ज्ञान और हुनर के बड़े पंडित थे| नाइ है, चर्मकार है इस आधार पर किसी गुरुकुल मे उनका प्रवेश वर्जित नही था, जाती के आधार पर हमारे गुरुकुलों मे प्रवेश नही हुआ है, और जाती के आधार पर हमारे यहाँ शिक्षा की भी व्यवस्था नही था| वर्ण व्यवस्था के आधार पर हमारे यहाँ सबकुछ चलता रहा| तो नाइ भी सर्जन है चर्मकार भी सर्जन है| और वो अंग्रेज लिखता है के चर्मकार जादा अच्चा सर्जन इसलिए हो सकता है की उसको चमड़ा सिलना सबसे अच्छे तरीके से आता है|

एक अंग्रेज लिख रहा है के ‘मैंने जिस गुरु से सर्जरी सीखी वो जात का नाइ था और सिखाने के बाद उन्होंने मुझसे एक ऑपरेशन करवाया और उस ऑपरेशन की वर्णन है| 1792 की बात है एक मराठा सैनिक की दोनों हात युद्ध मे कट गए है और वो उस वैद्य गुरु के पास कटे हुए हात लेके आया है जोड़ने के लिए| तो गुरु ने वो ऑपरेशन उस अंग्रेज से करवाया जो सिख रहा था, और वो ऑपरेशन उस अंग्रेज ने गुरु के साथ मिलके बहुत सफलता के साथ पूरा किया| और वो अंग्रेज जिसका नाम डॉ थॉमस क्रूसो था अपनी डायरी मे कह रहा है के “मैंने मेरे जीवन मे इतना बड़ा ज्ञान किसी गुरु से सिखा और इस गुरु ने मुझसे एक पैसा नही लिया यह मैं बिलकुल अचम्भा मानता हूँ आश्चर्य मानता हूँ|” और थॉमस क्रूसो यह सिख के गया है और फिर उसने प्लास्टिक सेर्जेरी का स्कूल खोला, और उस स्कूल मे फिर अंग्रेज सीखे है, और दुनिया मे फैलाया है| दुर्भाग्य इस बात का है के सारी दुनिया मे प्लास्टिक सेर्जेरी का उस स्कूल का तो वर्णन है लेकिन इन वैद्यो का वर्णन अभी तक नही आया विश्व ग्रन्थ मे जिन्होंने अंग्रेजो को प्लास्टिक सेर्जेरी सिखाई थी|



आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्
वन्देमातरम
भारत माता की जय
प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) जो आज की सर्जरी की दुनिया मे आधुनिकतम विद्या है इसका अविष्कार भारत मे हुअ है| सर्जरी का अविष्कार तो हुआ हि है प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भी यहाँ हि हुआ है| प्लास्टिक सर्जरी मे कहीं की प्रचा को काट के कहीं लगा देना और उसको इस तरह से लगा देना की पता हि न चले यह विद्या सबसे पहले दुनिया को भारत ने दी है|

1780 मे दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य के एक बड़े भू भाग का राजा था हयदर अली| 1780-84 के बीच मे अंग्रेजों ने हयदर अली के ऊपर कई बार हमले किये और एक हमले का जिक्र एक अंग्रेज की डायरी मे से मिला है| एक अंग्रेज का नाम था कोर्नेल कूट उसने हयदर अली पर हमला किया पर युद्ध मे अंग्रेज परास्त हो गए और हयदर अली ने कोर्नेल कूट की नाक काट दी| 

कोर्नेल कूट अपनी डायरी मे लिखता है के “मैं पराजित हो गया, सैनिको ने मुझे बन्दी बना लिया, फिर मुझे हयदर अली के पास ले गए और उन्होंने मेरा नाक काट दिया|” फिर कोर्नेल कूट लिखता है के “मुझे घोडा दे दिया भागने के लिए नाक काट के हात मे दे दिया और कहा के भाग जाओ तो मैं घोड़े पे बैठ के भागा| भागते भागते मैं बेलगाँव मे आ गया, बेलगाँव मे एक वैद्य ने मुझे देखा और पूछा मेरी नाक कहाँ कट गयी? तो मैं झूट बोला के किसीने पत्थर मार दिया, तो वैद्य ने बोला के यह पत्थर मारी हुई नाक नही है यह तलवार से काटी हुई नाक है, मैं वैद्य हूँ मैं जानता हूँ| तो मैंने वैद्य से सच बोला के मेरी नाक काटी गयी है| वैद्य ने पूछा किसने काटी? मैंने बोला तुम्हारी राजा ने काटी| वैद्य ने पूछा क्यों काटी तो मैंने बोला के उनपर हमला किया इसलिए काटी|फिर वैद्य बोला के तुम यह काटी हुई नाक लेके क्या करोगे? इंग्लैंड जाओगे? तो मैंने बोला इच्छा तो नही है फिर भी जाना हि पड़ेगा|”

यह सब सुनके वो दयालु वैद्य कहता है के मैं तुम्हारी नाक जोड़ सकता हूँ, कोर्नेल कूट को पहले विस्वास नही हुआ, फिर बोला ठेक है जोड़ दो तो वैद्य बोला तुम मेरे घर चलो| फिर वैद्य ने कोर्नेल को ले गया और उसका ऑपरेशन किया और इस ऑपरेशन का तिस पन्ने मे वर्णन है| ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हो गया नाक उसकी जुड़ गयी, वैद्य जी ने उसको एक लेप दे दिया बनाके और कहा की यह लेप ले जाओ और रोज सुबह शाम लगाते रहना| वो लेप लेके चला गया और 15-17 दिन के बाद बिलकुल नाक उसकी जुड़ गयी और वो जहाज मे बैठ कर लन्दन चला गया| 

फिर तिन महीने बाद ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे खड़ा हो कोर्नेल कूट भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल पूछता है सबसे के आपको लगता है के मेरी नाक कटी हुई है? तो सब अंग्रेज हैरान होक कहते है अरे नही नही तुम्हारी नाक तो कटी हुई बिलकुल नही दिखती| फिर वो कहानी सुना रहा है ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे के मैंने हयदर अली पे हमला किया था मैं उसमे हार गया उसने मेरी नाक काटी फिर भारत के एक वैद्य ने मेरी नाक जोड़ी और भारत की वैद्यों के पास इतनी बड़ी हुनर है इतना बड़ा ज्ञान है की वो काटी हुई नाक को जोड़ सकते है| 

फिर उस वैद्य जी की खोंज खबर ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे ली गयी, फिर अंग्रेजो का एक दल आया और बेलगाँव की उस वैद्य को मिला, तो उस वैद्य ने अंग्रेजो को बताया के यह काम तो भारत के लगभग हर गाँव मे होता है; मैं एकला नहीं हूँ ऐसा करने वाले हजारो लाखों लोग है| तो अंग्रेजों को हैरानी हुई के कोन सिखाता है आपको ? तो वैद्य जी कहने लगे के हमारे इसके गुरुकुल चलते है और गुरुकुलों मे सिखाया जाता है|

फिर अंग्रेजो ने उस गुरुकुलों मे गए उहाँ उन्होंने एडमिशन लिया, विद्यार्थी के रूप मे भारती हुए और सिखा, फिर सिखने के बाद इंग्लॅण्ड मे जाके उन्होंने प्लास्टिक सर्जरी शुरू की| और जिन जिन अंग्रेजों ने भारत से प्लास्टिक सर्जरी सीखी है उनकी डायरियां हैं| एक अंग्रेज अपने डायरी मे लिखता है के ‘जब मैंने पहली बार प्लास्टिक सर्जरी सीखी, जिस गुरु से सीखी वो भारत का विशेष आदमी था और वो नाइ था जाती का| मने जाती का नाइ, जाती का चर्मकार या कोई और हमारे यहाँ ज्ञान और हुनर के बड़े पंडित थे| नाइ है, चर्मकार है इस आधार पर किसी गुरुकुल मे उनका प्रवेश वर्जित नही था, जाती के आधार पर हमारे गुरुकुलों मे प्रवेश नही हुआ है, और जाती के आधार पर हमारे यहाँ शिक्षा की भी व्यवस्था नही था| वर्ण व्यवस्था के आधार पर हमारे यहाँ सबकुछ चलता रहा| तो नाइ भी सर्जन है चर्मकार भी सर्जन है| और वो अंग्रेज लिखता है के चर्मकार जादा अच्चा सर्जन इसलिए हो सकता है की उसको चमड़ा सिलना सबसे अच्छे तरीके से आता है|

एक अंग्रेज लिख रहा है के ‘मैंने जिस गुरु से सर्जरी सीखी वो जात का नाइ था और सिखाने के बाद उन्होंने मुझसे एक ऑपरेशन करवाया और उस ऑपरेशन की वर्णन है| 1792 की बात है एक मराठा सैनिक की दोनों हात युद्ध मे कट गए है और वो उस वैद्य गुरु के पास कटे हुए हात लेके आया है जोड़ने के लिए| तो गुरु ने वो ऑपरेशन उस अंग्रेज से करवाया जो सिख रहा था, और वो ऑपरेशन उस अंग्रेज ने गुरु के साथ मिलके बहुत सफलता के साथ पूरा किया| और वो अंग्रेज जिसका नाम डॉ थॉमस क्रूसो था अपनी डायरी मे कह रहा है के “मैंने मेरे जीवन मे इतना बड़ा ज्ञान किसी गुरु से सिखा और इस गुरु ने मुझसे एक पैसा नही लिया यह मैं बिलकुल अचम्भा मानता हूँ आश्चर्य मानता हूँ|” और थॉमस क्रूसो यह सिख के गया है और फिर उसने प्लास्टिक सेर्जेरी का स्कूल खोला, और उस स्कूल मे फिर अंग्रेज सीखे है, और दुनिया मे फैलाया है| दुर्भाग्य इस बात का है के सारी दुनिया मे प्लास्टिक सेर्जेरी का उस स्कूल का तो वर्णन है लेकिन इन वैद्यो का वर्णन अभी तक नही आया विश्व ग्रन्थ मे जिन्होंने अंग्रेजो को प्लास्टिक सेर्जेरी सिखाई थी|

अगर आप पूरी पोस्ट नही पड़ सकते तो यहाँ Click करें: 
http://www.youtube.com/watch?v=ZO-bpE9NYUA

आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद् 
वन्देमातरम 
भारत माता की जयLike ·  · Share

बुधवार, 20 नवंबर 2013

जानिए गौ माता के बारे में






 आज हमारा हिन्दू समाज इतना स्वार्थी हो गया है ! जब तक हम गाय का commercialisation नहीं करेंगे ! देश मे गौ रक्षा नहीं हो सकती !!

हमे लोगो को बताना पड़ेगा कि गाय के गोबर और मूत्र से करोड़ो की आय हो सकती है !!
गोबर गैस से रसोई घर का सिलंडर और गाड़ी चल सकती है !!देश पर पट्रोल ,डीजल का बोझ खत्म हो सकता है !! गिरता रुपया फिर ऊपर हो सकता है 
!
खेती मे गाय के गोबर का प्रयोग कर हम वर्ष fertilizer और पेस्ट्रिसाईड पर हो रहे 5 लाख करोड़ बचा सकते हैं !!
गाय के गोबर से खेती करने पर किसानो का खर्च कम होगा और आमदनी बड़ेगी !! किसान आतम ह्त्या नहीं करेगा !!









बिना fertilizer वाला भोजन करने से लोगो मे बीमारियाँ नहीं होगी !! हजारो करोड़ रुपए दवाइयों पर बचेंगे !!
गौमूत्र से बनी ओषधियों से गंभीर से गंभीर बीमारियाँ ठीक हो जाती है ! अमेरिका ने गौ मूत्र पर तीन patent ले लिए हैं !

पंचगव्य घी से 48 रोग ठीक होते है गर्म कर दो दो बूंद नाक मे डालने से दिमाग मे खून के ग्थ्थे भी ठीक हो जाते हैं ! यादाश बढ़ जाती है !! दिप्रशन की समस्या दूर हो जाती है !

गाय के 10 ग्राम घी से 1 किलो आक्सीजन निकलती है !! रोज गाय के घी से देश मे लाखो जगह हवन हो तो प्रदूषण की समस्या ठीक हो जाए !! अमेरिका की सेटेलाएट की सबसे बड़ी संस्था NASA मे रोज गाय के घी से हवन होता है !!

और अंत गौ माता ही हमे दुबारा विश्व गुरु बना सकती है !!
______________________

आज परिस्थिति ऐसी है जब तक हम लोगो को सिर्फ यही बात कहेंगे की गाय बचाओ !
क्यूंकि हमारे धर्म मे लिखा गौ ह्त्या नहीं होनी चाहिए आदि आदि !!
तब तक भारत मे गौ रक्षा नहीं हो सकती !!
हमे लोगो को गौ माता का हमारे देश भारत के लिए आर्थिक महत्व बताना पड़ेगा !! वरना मैकोले के मानस पुत्र(आधुनिक शिक्षा मे पढ़ें ) आम पशु और गौ माता मे अंतर नहीं समझ पाएंगे !
और जिस दिन लोगो को ये समझ आ गया तो एक भी गाय भारत मे नहीं कटेगी !!



Read more:www.manishpdixit.blogspot.com

मंगलवार, 19 नवंबर 2013

चाय का इतिहास




मित्रो चाय के बारे मे सबसे पहली बात ये कि चाय जो है वो हमारे देश भारत का उत्पादन नहीं है ! अंग्रेज़ जब भारत आए थे तो अपने साथ चाय का पौधा लेकर आए थे ! और भारत के कुछ ऐसे स्थान जो अंग्रेज़ो के लिए अनुकूल (जहां ठंड बहुत होती है) वहाँ पहाड़ियो मे चाय के पोधे लगवाए और उसमे से चाय होने लगी !तो अंग्रेज़ अपने साथ चाय लेकर आए भारत मे कभी चाय हुई नहीं !1750 से पहले भारत मे कहीं भी चाय का नाम और निशान नहीं था ! ब्रिटिशर आए east india company लेकर तो उन्होने चाय के बागान लगाए ! और उन्होने ये अपने लिए लगाए !क्यूँ लगाए ???चाय एक medicine है इस बात को ध्यान से पढ़िये !चाय एक medicine है लेकिन सिर्फ उन लोगो के लिए जिनका blood pressure low रहता है ! और जिनका blood pressure normal और high रहता है चाय उनके लिए जहर है !!low blood pressure वालों के लिए चाय अमृत है और जिनका high और normal रहता है चाय उनके लिए जहर है !









अब अंग्रेज़ो की एक समस्या है वो आज भी है और हजारो साल से है !सभी अंग्रेज़ो का BP low रहता है ! सिर्फ अंग्रेज़ो का नहीं अमरीकीयों का भी ,कैनेडियन लोगो का भी ,फ्रेंच लोगो भी और जर्मनस का भी, स्वीडिश का भी !इन सबका BP LOW रहता है !कारण क्या है ???कारण ये है कि बहुत ठंडे इलाके मे रहते है बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे ! उनकी ठंड का तो हम अंदाजा नहीं लगा सकते ! अंग्रेज़ और उनके आस पास के लोग जिन इलाको मे रहते है वहाँ साल के 6 से 8 महीने तो सूरज ही नहीं निकलता ! और आप उनके तापमान का अनुमान लगाएंगे तो - 40 तो उनकी lowest range है ! मतलब शून्य से भी 40 डिग्री नीचे 30 डिग्री 20 डिग्री ! ये तापमान उनके वहाँ समानय रूप से रहता है क्यूंकि सूर्य निकलता ही नहीं ! 6 महीने धुंध ही धुंध रहती है आसमान मे ! ये इन अंग्रेज़ो की सबसे बड़ी तकलीफ है !!ज्यादा ठंडे इलाके मे जो भी रहेगा उनका BP low हो जाएगा ! आप भी करके देख सकते है ! बर्फ की दो सिलियो को खड़ा कर बीच मे लेट जाये 2 से 3 मिनट मे ही BP लो होना शुरू हो जाएगा ! और 5 से 8 मिनट तक तो इतना low हो जाएगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी ! फिर आपको शायद समझ आए ये अंग्रेज़ कैसे इतनी ठंड मे रहते है !घरो के ऊपर बर्फ, सड़क पर बर्फ,गड़िया बर्फ मे धस जाती है ! बजट का बड़ा हिस्सा सरकारे बर्फ हटाने मे प्रयोग करती है ! तो वो लोग बहुत बर्फ मे ररहते है ठंड बहुत है blood pressure बहुत low रहता है !अब तुरंत blood को stimulent चाहिए ! मतलब ठंड से BP बहुत low हो गया ! एक दम BP बढ़ाना है तो चाय उसमे सबसे अच्छी है और दूसरे नमबर पर कॉफी ! तो चाय उन सब लोगो के लिए बहुत अच्छी है जो बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे रहते है ! अगर भारत मे कश्मीर की बात करे तो उन लोगो के लिए चाय,काफी अच्छी क्यूंकि ठंड बहुत ही अधिक है !!












लेकिन बाकी भारत के इलाके जहां तापमान सामान्य रहता है ! और मुश्किल से साल के 15 से 20 दिन की ठंड है !वो भी तब जब कोहरा बहुत पड़ता है हाथ पैर कांपने लगते है तापमान 0 से 1 डिग्री के आस पास होता है ! तब आपके यहाँ कुछ दिन ऐसे आते है जब आप चाय पिलो या काफी पिलो !लेकिन पूरे साल चाय पीना और everytime is tea time ये बहुत खतरनाक है ! और कुछ लोग तो कहते बिना चाय पीए तो सुबह toilet भी नहीं जा सकते ये तो बहुत ही अधिक खतरनाक है !









इसलिए उठते ही अगर चाय पीने की आपकी आदत है तो इसको बदलीये !!नहीं तो होने वाला क्या है सुनिए !अगर normal BP आपका है और आप ऐसे ही चाय पीने की आदत जारी रखते है तो धीरे धीरे BP high होना शुरू होगा ! और ये high BP फिर आपको गोलियो तक लेकर जाएगा !तो डाक्टर कहेगा BP low करने के लिए गोलिया खाओ ! और ज़िंदगी भर चाय भी पियो जिंदगी भर गोलिया भी खाओ ! डाक्टर ये नहीं कहेगा चाय छोड़ दो वो कहेगा जिंदगी भर गोलिया खाओ क्यूंकि गोलिया बिकेंगी तो उसको भी कमीशन मिलता रहेगा !तो आप अब निर्णय लेलों जिंदगी भर BP की गोलीया खाकर जिंदा रहना है तो चाय पीते रहो ! और अगर नहीं खानी है तो चाय पहले छोड़ दो !










एक जानकारी और !आप जानते है गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही अम्लीय (acidic) होता ! और ठंडे देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही क्षारीय (alkaline) होता है ! और गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट normal acidity से ऊपर होता है और ठंड वाले लोगो का normal acidity से भी बहुत अधिक कम ! मतलब उनके blood की acidity हम मापे और अपने देश के लोगो की मापे तो दोनों मे काफी अंतर रहता है !अगर आप ph स्केल को जानते है तो हमारा blood की acidity 7.4 ,7.3 ,7.2 और कभी कभी 6.8 के आस पास तक चला जाता है !! लेकिन यूरोप और अमेरिका के लोगो का +8 और + 8 से भी आगे तक रहता है !तो चाय पहले से ही acidic (अम्लीय )है और उनके क्षारीय (alkaline) blood को थोड़ा अम्लीय करने मे चाय कुछ मदद करती है ! लेकिन हम लोगो का blood पहले से ही acidic है और पेट भी acidic है ऊपर हम चाय पी रहे है तो जीवन का सर्वनाश कर रहे हैं !तो चाय हमारे रकत (blood ) मे acidity को और ज्यादा बढ़ायी गई !! और जैसा आपने राजीव भाई की पहली post मे पढ़ा होगा (heart attack का आयुर्वेदिक इलाज मे )!आयुर्वेद के अनुसार रक्त (blood ) मे जब अमलता (acidity ) बढ़ती है तो 48 रोग शरीर मे उतपन होते है ! उसमे से सबसे पहला रोग है ! कोलोस्ट्रोल का बढ़ना ! कोलोस्ट्रोल को आम आदमी की भाषा मे बोले तो मतलब रक्त मे कचरा बढ़ना !! और जैसे ही रक्त मे ये कोलोस्ट्रोल बढ़ता है तो हमारा रक्त दिल के वाहिका (नालियो ) मे से निकलता हुआ blockage करना शुरू कर देता है ! और फिर हो blockage धीरे धीरे इतनी बढ़ जाती है कि पूरी वाहिका (नली ) भर जाती है और मनुष्य को heart attack होता है !तो सोचिए ये चाय आपको धीरे धीरे कहाँ तक लेकर जा सकती है !!इसलिए कृपया इसे छोड़ दे !!!










अब आपने इतनी अम्लीय चाय पी पीकर जो आजतक पेट बहुत ज्यादा अम्लीय कर लिया है ! इसकी अम्लता को फिर कम करिए !कम कैसे करेंगे ??सीधी सी बात पेट अम्लीय (acidic )है तो क्षारीय चीजे अधिक खाओ !क्यूकि अमल (acidic) और क्षार (alkaline) दोनों लो मिला दो तो neutral हो जाएगा !!तो क्षारीय चीजों मे आप जीरे का पानी पी सकते है पानी मे जीरा डाले बहुत अधिक गर्म करे थोड़ा ठंडा होने पर पिये ! दाल चीनी को ऐसे ही पानी मे डाल कर गर्म करे ठंडा कर पिये !और एक बहुत अधिक क्षारीय चीज आती है वो है अर्जुन की छाल का काढ़ा 40 -45 रुपए किलो कहीं भी मिल जाता है इसको आप गर्म दूध मे डाल कर पी सकते है ! बहुत जल्दी heart की blockage और high bp कालोस्ट्रोल आदि को ठीक करता है !!एक और बात आप ध्यान दे इंसान को छोड़ कर कोई जानवर चाय नहीं पीता कुत्ते को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा ! सूघ कर इधर उधर हो जाएगा ! दूध पिलाओ एक दम पियेगा ! कुत्ता ,बिल्ली ,गाय ,चिड़िया जिस मर्जी जानवर को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा !!और एक बात आपके शरीर के अनुकूल जो चीजे है वो आपके 20 किलो मीटर के दायरे मे ही होंगी ! आपके गर्म इलाके से सैंकड़ों मील दूर ठंडी पहड़ियों मे होने वाली चाय या काफी आपके लिए अनुकूल नहीं है ! वो उनही लोगो के लिए है! आजकल ट्रांसपोटेशन इतना बढ़ गया है कि हमे हर चीज आसानी से मिल जाती है ! वरना शरीर के अनुकूल चीजे प्र्तेक इलाके के आस पास ही पैदा हो पाएँगी !!तो आप चाय छोड़े अपने अम्लीय पेट और रक्त को क्षारीय चीजों का अधिक से अधिक सेवन कर शरीर स्व्स्थय रखे


_आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

Read more:www.manishpdixit.blogspot.com