संसद की इमारतों में संसद भवन, संसदीय सौध, स्वागत कार्यालय और निर्माणाधीन संसदीय ज्ञानपीठ अथवा संसद ग्रंथालय सम्मिलित है। इन सभी को मिलाकर संसद परिसर कहा जाता है इसमें लंबे-चौड़े लान
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संसद परिसर
जलाशय, फव्वारे और सड़कें बनी हुई हैं। यह सारा परिसर सजावटी लाल पत्थर की दीवारों तथा लोहे के जंगलों और लोहे के ही विशाल दरवाजों से घिरा हुआ है।
संसद भवन
संसद भवन का निर्माण 1921-1927 के दौरान किया गया था। संसद भवन नयी दिल्ली की बहुत ही शानदार इमारतों में से एक है। यह विश्व के किसी भी देश में विद्यमान वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसकी तुलना विश्व के सर्वोत्तम विधान-भवनों के साथ की जा सकती है। यह एक विशाल वृत्ताकार इमारत है। जिसका व्यास 560 फुट तथा जिसका घेरा 1/3 मील है। यह लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। भवन के 12 दरवाजे हैं, जिनमें से पाँच के सामने द्वार मंडप बने हुए हैं। पहली मंजिल पर खुला बरामदा हल्के पीले रंग के 144 चित्ताकर्षक खंभों की कतार से सुसज्जित हैं। जिनकी प्रत्येक की ऊँचाई 27 फुट है।

भले ही इसका डिजाइन विदेशी वास्तुकारों ने बनाया था। किंतु इस भवन का निर्माण भारतीय सामग्री से तथा भारतीय सामग्री से तथा भारतीय श्रमिकों द्वारा कियागया था। तभी इसकी वास्तुकला पर भारतीय परंपराओं की गहरी छाप है।
इस भवन का केंद्र बिंदु केंद्रीय कक्ष (सेंट्रल हाल) का विशाल वृत्ताकार ढांचा है। केंद्रीय कक्ष के गुबंद का व्यास 98 फुट तथा इसकी ऊँचाई 118 फुट है। विश्वास किया जाता है कि यह विश्व के बहुत शानदार गुबंदों में से एक है। भारत की संविधान सभा की बैठक (1946-49)इसी कक्ष में हुई थी। 1947 में अंग्रेजों से भारतीयों के हाथों में सत्ता का ऐतिहासिक हस्तांतरण भी इसी कक्ष में हुआ था। इस कक्ष का प्रयोग अब दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए तथा राष्ट्रपति और विशिष्ट अतिथियों-राज्य या शासनाध्यक्ष आदि के अभिभाषण के लिए किया जाता है। कक्ष राष्ट्रीय नेताओं के चित्रों से सज़ा हुआ है। केंद्रीय कक्ष के तीन ओर लोक सभा, राज्य सभा और ग्रंथालय के तीन कक्ष हैं। उनके बीच सुंदर बग़ीचा है जिसमें घनी हरी घास के लान तथा फव्वारे हैं। इन तीनों कक्षों के चारों ओर एक चार मंजिला वृत्ताकार इमारत बनी हुई है। इसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों और पार्टी के कार्यालय हैं। लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयों के महत्वपूर्ण कार्यालय और संसदीय कार्य मंत्रालय के कार्यालय भी यहीं हैं।
पहली मंजिल पर चार समिति कक्षों का प्रयोग संसदीय समितियों की बैठकों के लिए किया जाता है। इसी मंजिल पर तीन अन्य कक्षों का प्रयोग संवाददाताओं द्वारा किया जाता है। संसद भवन के भूमि-तल पर गलियारे की बाहरी दीवार को अनेक भित्ति-चित्रों से सजाया गया है। जिनमें प्राचीन काल से भारत के इतिहास तथा पड़ोसी देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों को प्रदर्शित किया गया है।
लोक सभा कक्ष में, आधुनिक ध्वनि व्यवस्था है। दीर्घाओं में छोटे छोटे लाउडस्पीकर लगे हुए हैं। सदस्य माईक्रोफोन के पास आए बिना ही अपनी सीटों से बोल सकते हैं। लोक सभा कक्षा में स्वचालितमत-अभिलेखन उपकरण लगाए गए हैं। जिनके द्वारा सदस्य मतविभाजन होने की स्थिति में शीघ्रता के साथ अपने मत अभिलिखित कर सकते हैं।
राज्य सभा कक्ष लोक सभा कक्ष की भांति ही है। यह आकार में छोटा है। इसमें 250 सदस्यों के बैठने के लिए स्थान हैं।
केंद्रीय कक्ष के दरवाजे के ऊपर हमें पंचतंत्र से संस्कृत का एक पद्यांश देखने को मिलता है। जिसका अर्थ है, “यह मेरा है तथा वह पराया है, इस तरह की धारणा संकीर्ण मन वालों की होती है। किंतु विशाल हृदय वालों के लिए सारा विश्व ही उनका कुटुंब होता है।”
स्वागत कार्यालय
स्वागत कार्यालय 1975 में निर्मित एक वृत्ताकार इमारत है। यह आकार में अधिक बड़ी नहीं है। यह बड़ी संख्या में आने वाले मुलाकातियां/दर्शकों के लिए, जो सदस्यों, मंत्रियों आदि से मिलने के लिए या संसद की कार्यवाही को देखने के लिए आते हैं, एक मैत्रीपूर्ण प्रतीक्षा स्थल है। इमारत, पूरी तरह से वातानुकूलित है।

संसदीय सौध
संसदीय सौध की इमारत 9.8 एकड़ भूखंड पर बनी हुई है। इसका फर्शी क्षेत्रफल 35,000 वर्ग मीटर है। इसका निर्माण 1970-75 के दौरान हुआ। आगे तथा पीछे के ब्लाक तीन मंजिला तथा बीच का ब्लाक 6 मंजिला है। नीचे की मंजिल पर जलाशय जिसके ऊपर झूलता हुआ जीना बना हुआ है।
भूमितल एक अत्याधुनिक स्थान है। यहां राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होते हैं। एक वर्गाकार प्रांगण के चारों ओर एक मुख्य समिति कक्ष तथा चार लघु समिति कक्षों का समूह है। इस प्रांगण के बीच में एक अष्टकोणीय जलाशय है। प्रांगण में ऊपर की ओर पच्चीकारी युक्त जाली का पर्दा है। वहां पौधे लगाकर एक प्राकृतिक दृश्य तैयार कियागया है। इसमें पत्थर की टुकड़ियों तथा छोटे पत्थरों के खंड बनाए गए हैं। पांचों के पांचों समिति कक्षों में संसद भवन में लोक सभा तथा राज्य सभा कक्षों की भांति साथ साथ भाषांतर की व्यवस्था है। प्रत्येक कक्ष के साथ संसदीय समितियों के सभापतियों के कार्यालयों के लिए एक कमरा है।

दर्शकों के लिए भ्रमण की व्यवस्था
अधिवेशन के बीच की अवधियों में पर्यटकों, छात्रों और रूचि रखने वाले अन्य व्यक्तियों को तय समय के दौरान संसद की इमारतें घुमाने की व्यवस्था है। दर्शकों के साथ स्टाफ का एक सदस्य जाता है। जो उनको इमारतों के बारे में बताता है। दर्शक हर आधे घंटे बाद मोटे तौर पर 40-50 व्यक्तियों के सुविधाजनक समूहों में स्वागत कक्ष से भ्रमण के लिए प्रस्थान करते हैं। छात्रों तथा संसदीय संस्थाओं के कार्यकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करने में विशेष रूप से रूचि रखने वाले अन्य लोगों के समूहों के लिए विशेष भ्रमण की व्यवस्था भी की जाती है। ऐसी स्थतियों में, संसदीय अध्ययन तथा प्रशिक्षण केंद्र भ्रमण शुरू करने से पहले दर्शकों को संक्षिप्त परिचय देने की व्यवस्था करता है। पिछले दस वर्षों के दौरान हर वर्ष संसद भवन की इमारतों को देखने के लिए आने वाले दर्शकों की कुल संख्या 3,000 से लगभग 90,000 के बीच रही है।
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