संसद में दोनों सदनों से संबंधित सारे काम के समुचित संचालन के लिए, लोक सभा सचिवालय और राज्य सभा सचिवालय बनाए गए हैं। दोनोंसचिवालयों में सबसे शीर्ष पर एक महासचिव होता है। प्रत्येक सचिवालय अपने पीठासीन अधिकारियों और सभी सदस्यों को आवश्यक सलाह, सहायता और सुविधाएं पदान करता है। सचिवालय के अलग अलग भाग-अनुभाग हैं। जैसे विधायी कार्य, प्रश्नकाल, समिति प्रशासन, ग्रंथालय और सूचना सेवा, रिपोर्टिंग, भाषांतर और अनुवाद मुद्रण और प्रकाशन, सुरक्षा और सफाई।

संसद ग्रंथालय तथा सूचना सेवा
भारतीय संसद के पास बहुत ही कुशल सूचना सेवा केंद्र है। साथ ही एक उत्तम संसदीय पुस्तकालय भी है। इसे संसद ग्रंथालय तथा संदर्भ, अनुसंधान, प्रलेखन और सूचना सेवा कहा जाता है। इसका पहला उद्देश्य संसद सदस्यों को देश विदेश के दैनिक घटनाक्रम की पूरी जनकारी उपलब्ध कराना है।
इस समय इस पुस्तकालय में 15 लाख से अधिक पुस्तकें हैं। अंग्रेजी तथा भारतीय भाषाओं के लगभग 300 भारतीय तथा विदेशी समाचारपत्र यहां आते हैं। 1100 के करीब पत्र-पत्रिकाओं, कला पुस्तकों आदि का विशाल संग्रह है। सबसे पुरानी छपी हुई पुस्तक 1871 की है। किंतु, पुस्तकालय की सर्वाधिक मूंल्यवान धरोहर संविधान सभा द्वारा यथा स्वीकृत तथा इसके सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित भारत के संविधान की हिंदी तथा अंग्रेजी में मूल सुलिखित प्रति है।
समय समय पर संसद ग्रंथालय रूचि के विषयों पर पुस्तक प्रदर्शनियों का आयोजन करता है। अनुसंधान तथा सूचना प्रभाग संसद सदस्यों की सूचना संबंधी अपेक्षाओं का पहले से अनुमान लगा लेता है। िफर उचित समय पर वस्तुनिष्ठ सूचना सामग्री जैसे विवरणिकांएं सूचना बुलेटिन, पृष्ठभूमि टिप्पण, तथ्य-पत्र आदि जारी करता है। इससे सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में वर्तमान घटनाक्रम की जानकारी मिलतीरहती है।
प्रेस तथा लोक संपर्क प्रभाग लोक सभा सचिवालय के प्रेस तथा लोक संपर्क से संबंधित सारे कार्य की देखभाल करता है। जिसमें, मुख्य रूप से, प्रेस, सरकारी प्रचार संगठनों और जन प्रचार माध्यमों (मीडिया) के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखना सम्मिलित होता है।
1987 में कंप्यूटर केंद्र की स्थापना की गई। संसदीय ग्रंथालय सूचना प्रणाली नेशनल इन्फार्मेशन सेंटर नेटवर्क से जुड़ी हुई है। इस प्रणाली द्वारा समूचे देश में जिला सूचना केंद्रों के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है।
प्रलेखन सेवा का मुख्य कार्य पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों, रिपोर्टों, पत्र-पत्रिकाओं, समाचारपत्रों की कतरनों और प्रलेखों को ठीक स्थान पर रखना, उनका संग्रह करना है। इनका विषयगत वर्गीकरण अथवा सूचीकरण किया जाता है। फिर संसद सदस्यों को उनके दिन प्रतिदिन के संसदीय कार्य में प्रयोग के लिए संबंधित सामग्री का सारांश उपलब्ध कराया जाता है।
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