a

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

दोराहे पर दिल्ली कि राजनीति

कल ही दिल्ली  समेत तीन राज्यो के  चुनाव परिणाम  आये  और दिल्ली को बाकि राज्यो में तस्वीर विल्कुल साफ रही। बीजेपी ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया ,छतीशगढ को छोड़कर बाकि राज्यो में मुकाबला एकतरफा रहा। हालाँकि रमन सरकार ने बहुमत पा  लिया,जो कि  रिकॉर्ड तीसरी सरकार बनाएंगे। मामले में नया पेंच  तब आया जब दिल्ली में नई नवेली पार्टी आप  ने २८ सीट  जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया।
७० सीटो  कि विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान सत्ता में काबिज  कोंग्रेस को हुआ। लगातार कई  बार से दिल्ली में  एकछत्र  राज्य  कर रही   कांग्रेस को सबसे ज्यादा जिल्लत उठानी पड़ी। ७० सीटो में कांग्रेश को सिर्फ ८ सीटो में जीत दर्ज कर पायी। यहाँ  तक कि दिल्ली की मुख्यमत्रीं समेत कई  बड़े मंत्रीओ और नेताओ को हार का स्वाद चखना पड़ा। हालाँकि दिल्ली में किसी भी  पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। बीजेपी  जहाँ ३२ सीटो के साथ पहले  स्थान पर रही वहीँ नवेली आप ने २८ सीटो में अपना कब्ज़ा किया। २ सीटो पर अन्य दलो का क़ब्जा रहा।

जहाँ तक बाँकी तीनो प्रदेश  का सवाल है वहाँ बीजेपी  अपनी सरकार बना रही है। लेकिन दिल्ली में  सबसे ज्यादा  सीटे  मिलने के वावजूद राष्टपति शासन लगने के आशार नजर आ  रहे है। अगर दिल्ली में राष्टपति शासन लागु होता है तो चुनाव तय है और   बेचारी  जनता को एक बार फिर अतिरिक्त खर्च वहन  करना होगा।

इससे सरकार  को क्या लेना देना फिर चुनाव करवा लेंगे पैसे तो पेड़ से तोड़ लेंगे। जहाँ तक मंहगाई का सवाल है तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव जनता पर पड़ना है। एक बार फिर जायेंगे और वोट डाल के फिर से अपने कर्तव्य को पूरा करेंगे। फिर देखते है कौन सा नेता कैसे नचाता है।

अब चुनाव ख़त्म हो गए और लोंगो का काम ख़त्म ,सरकार किसी की बने अब पांच साल तक जनता को कोई पूछने वाला नहीं हैं। अब तो बिधायक हो गए तो थोड़ा  सा क्रेज  तो बनता है।

उम्मीद करते है कि हमें एक ऐसी  सरकार मिले जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके। और एक सुरक्षित और सम्रध भारत का निर्माण कर सके।

पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद अपना सुझाव देना न भूले

Read more:www.manishpdixit.blogspot.com