दोस्तका जवाब
बहुत समय पहले की बात है , दो दोस्त बीहड़ इलाकों से होकर शहर जा रहे थे . गर्मी
बहुत
अधिक
होने
के कारण
वो बीच -बीच में रुकते
और आराम करते .
उन्होंने
अपने
साथ खाने-पीने की भी कुछ चीजें
रखी हुई थीं .
जब दोपहर
में उन्हें
भूख लगी तो दोनों
ने एक जगह बैठकर
खाने
का विचार किया .
खाना खाते – खाते दोनों में किसी बात को लेकर बहस छिड गयी ..और धीरे -धीरे बात इतनी बढ़ गयी कि एक दोस्त ने दूसरे को थप्पड़ मार दिया .पर थप्पड़ खाने के बाद भी दूसरा दोस्त चुप रहा और कोई विरोध
नहीं
किया ….बस उसने
पेड़ की
एक टहनी
उठाई
और उससे
मिटटी
पर लिख दिया “
आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा ”
थोड़ी देर बाद उन्होंने पुनः यात्रा शुरू की , मन मुटाव होने के कारण वो बिना एक -दूसरे से बात किये आगे बढ़ते जा रहे थे कि तभी थप्पड़
खाए दोस्त
के चीखने
की आवाज़
आई , वह गलती
से दलदल
में फँस गया था …दूसरे
दोस्त
ने तेजी
दिखाते हुए उसकी
मदद की
और उसे दलदल
से निकाल
दिया .
इस बार भी वह दोस्त कुछ नहीं बोला उसने बस एक नुकीला पत्थर उठाया और एक विशाल पेड़ के तने पर लिखने लगा ” आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई ”
उसे ऐसा करते देख दूसरे मित्र से रहा नहीं गया और उसने पूछा ,
“ जब मैंने
तुम्हे
पत्थर
मारा
तो तुमने
मिटटी
पर लिखा
और जब मैंने
तुम्हारी
जान बचाई
तो तुम पेड़
के तने पर कुरेद -कुरेद
कर लिख रहे हो , ऐसा क्यों ?”
” जब कोई तकलीफ दे तो हमें उसे अन्दर तक नहीं
बैठाना चाहिए ताकि क्षमा रुपी हवाएं इस मिटटी की तरह ही उस तकलीफ को हमारे जेहन से बहा ले जाएं , लेकिन जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करे तो उसे इतनी गहराई से अपने मन में बसा लेने चाहिए कि वो कभी हमारे जेहन से मिट ना सके .” , दोस्त का जवाब आया.प्राचीन यूनान में सुकरात को महाज्ञानी माना जाता था. एक दिन उनकी जान पहचान
का एक व्यक्ति उनसे मिला सत्य अच्छाई
उपयोगिता और बोला, ” क्या आप जानते हैं मैंने आपके एक दोस्त के बारे में क्या
सुना ?”“एक मिनट रुको,” सुकरात ने कहा, ” तुम्हारे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि तुम एक छोटा सा टेस्ट पास करो. इसे ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट कहते हैं.”“ट्रिपल फ़िल्टर ?”” हाँ, सही सुना तुमने.”, सुकरात ने बोलना जारी रखा.” इससे पहले की तुम मेरे दोस्त के बारे कुछ बताओ , अच्छा होगा कि हम कुछ समय लें और
जो तुम कहने जा रहे हो उसे फ़िल्टर कर लें. इसीलिए मैं इसे ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट कहता हूँ. पहला फ़िल्टर है सत्य.क्या तुम पूरी तरह आश्वस्त हो कि जो तुम कहने
जा रहे हो वो सत्य है?“नहीं”, व्यक्ति बोला, ” दरअसल मैंने ये किसी से सुना है और ….”” ठीक है”, सुकरात ने कहा. ” तो तुम विश्वास के साथ नहीं कह सकते कि ये सत्य है या असत्य. चलो अब दूसरा
फ़िल्टर ट्राई करते हैं, अच्छाई का फ़िल्टर. ये बताओ कि जो बात तुम मेरे दोस्त के बारे में कहने जा रहे हो क्या वो कुछ अच्छा है ?”” नहीं , बल्कि ये तो इसके उलट…..”“तो”, सुकरात ने कहा , ” तुम मुझे कुछ बुरा बताने वाले हो , लेकिन तुम आश्वस्त नहीं हो कि वो सत्य है. कोई बात नहीं, तुम अभी भी टेस्ट पास कर सकते हो, क्योंकि अभी भी एक फ़िल्टर बचा हुआ है: उपयोगिता का फ़िल्टर. मेरे दोस्त के बारे में जो तू बताने वाले हो क्या वो मेरे लिए
उपयोगी है?”“हम्म्म…. नहीं , कुछ ख़ास नहीं…”“अच्छा,” सुकरात ने अपनी बात पूरी की , ” यदि जो तुम बताने वाले हो वो ना सत्य है , ना अच्छा और ना ही उपयोगी तो उसे सुनने का क्या लाभ?” और ये कहते हुए वो अपने काम में व्यस्त हो गए.
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