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गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

बन्दर और सुगरी


सुन्दर  वन  में  ठण्ड  दस्तक  दे  रही  थी , सभी  जानवर  आने  वाले  कठिन  मौसम  के  लिए  तैयारी   करने  में  लगे  हुए  थे . सुगरी  चिड़िया  भी  उनमे  से  एक  थी  , हर  साल  की  तरह  उसने  अपने  लिए  एक  शानदार  घोंसला  तैयार  किया  था  और  अचानक  होने  वाली  बारिश  और  ठण्ड  से  बचने के लिए उसे  चारो  तरफ  से  घांस -फूंस  से  ढक  दिया  था .








सब  कुछ  ठीक  चल  रहा  था  कि  एक  दिन  अचानक  ही  बिजली  कड़कने  लगी  और  देखते देखते  घनघोर  वर्षा   होने  लगी , बेमौसम  आई  बारिश  से  ठण्ड  भी  बढ़ गयी  और  सभी  जानवर  अपने -अपने  घरों   की  तरफ  भागने  लगे . सुगरी  भी  तेजी  दिखाते  हुए  अपने  घोंसले  में वापस आ गई  , और  आराम  करने  लगी . उसे  आये   अभी  कुछ  ही  वक़्त  बीता  था  कि  एक  बन्दर  खुद  को  बचाने  के  लिए  पेड़  के  नीचे    पहुंचा  .
अब तक काफी पानी गिर चुका था , बन्दर बिलकुल भीग गया था और बुरी तरह काँप रहा था. इतने में सुगरी से रहा नहीं गया और वो फिर बोली , ” कम से कम अब घर बनाना सीख लेना.इतना सुनते ही बन्दर तुरंत पेड़ पर चढ़ने लगा ,……. “भले मैं घर बनाना नहीं जानता लेकिन मुझे तोडना अच्छे से आता है..”, और  ये कहते हुए उसने सुगरी का घोंसला तहस नहस कर दिया. अब सुगरी भी बन्दर की तरह बेघर हो चुकी थी और ठण्ड से काँप रही थी.

दोस्तों, ऐसा बहुत बार होता है कि लोग मुसीबत में पड़ेव्यक्ति की मदद कतरने की बजाये उसे दुनिया भर की नसीहत देने लगते हैं.वयस्क होने के नाते हर कोई अपनी इस्थिति के लिए खुद जिम्मेदार है. हमएक शुभचिंतक के रूप में उसे एक-आध बार सलाह तो  दे सकते हाँ पर उसकी किसीकमी के लिए बार कोसना हमें सुगरी चिड़िया की हालत में पंहुचा सकता है.इसलिए किसी मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद कर सकते हैं तो करिए पर उसेबेकार के उपदेश मत दीजिये.

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