करीब 1०० साल पहले एक वीर नाम का राजा रहता था वो अवद नगर का राजा था जिसका आधा हिस्सा जंगले से भरा था राजा वीर के दो संतान थे एक बड़ा पुत्र जिसका नाम बान और एक पुत्री जिसका नाम बिना था, बिना जब १० साल की थी तभी उसकी माँ उसके माँ भगवान को प्यारी हो गयी थी…..तब से बिना को उसके पिता बड़े ही प्यार से पालते थे और उसकी हर ज़रुरतो को पूरा करते थे |
राजा वीर के नगर में सब अच्छा था
शांति और समृधि दोनों था और सारी प्रजा राजा के आज्ञा का पूरा पालन करता था और सबको विस्वास था की उसके राजा बहुत अच्छे पालक है लेकिन राजा वीर के इस अच्छे होने के पीछे बहुत बड़ा राज़ था एक तरफ तो वह प्रजा की सेवा करता था तो दूसरी तरफ नगर में फेले जंगले में उसका दूसरा चेहरा , राजा वीर जंगले में बसे जानवरों का शिकार करता था ,शिकार करना तो उस समय तो आम बात थी लेकिन राजा वीर शिकार करके जानवरों को पिंजर में डालता था और उसे उसे बेच देता था और खतरनाक जानवरों को मार डालता था …..और उस वक़्त बड़ी संक्या में जानवर गायब हो रहे थे…….और प्रजा के सवाल पूछे जाने पर वो मुखर जाता था और पता लगाने के लिए कहता था और इसके बारे में राजकुमारी बिना को कुछ भी नहीं पता था |
जब बिना 16 साल की थी तो उसका भी मन किया शिकार पर जाने का लेकिन राजा वीर अपनी पुत्री को जाने से मना कर दिया लेकिन बिना ने तो जैसे ठान ही लिया था की वो जाकर ही रहेगी इसीलिए वो नोकरानी के वेश में अपने भाई के पीछे पीछे चली जाती है,, पहुचने पर बिना वहा का नज़ारा देख कर डर जाती है और जानवरों का इस तरह से पिंजरों में केंद करना और मार डालना उसे अच्छा नहीं लगा , बिना वही पेड़ के पीछे रहती है की तबतक उसके भाई को अहसास होता है की पीछे से उने कोई देख रहा है…..तभी एक राजकुमार बान का सेवक उसको देख लेता है और बिना को अनजान समझ कर चिलाने लगता है तबतक बिना वहा से भाग जाती है लेकिन बान के कहने पर उसके सेवक उसका पीछा करते है.. बिना भाग रही होती है……तब तक वो जंगलो में भटक गयी रहती है और उसे समझ में नहीं आता है की वो किदर जाये और अपनी पहचान बता नहीं सकती ……..तब तक सेवक आ ही रहे होते है की तब तक राजकुमारी बिना को एक घोडा सवार शख्स उसे वहा से उठाते ले जाता है,,,
बिना समझ ही नहीं पाती है कि कौन है.उस शख्स के इस तरह से उठाए जाने पर वो बहुत गुस्साती है……
वो शख्स उसे अपने झोपड़ी में ले जाता है और वही उतार देता है. बिना बहुत गुस्साती है और कहती है……
बिना — आप है कौन और हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से उठाने की आप है कौन……
वो शख्स उसे अपने झोपड़ी में ले जाता है और वही उतार देता है. बिना बहुत गुस्साती है और कहती है……
बिना — आप है कौन और हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से उठाने की आप है कौन……
थोड़ी देर तक वो शख्स कुछ भी नहीं बोलता है……..
बिना— आप बोलते क्यूँ नहीं मुझे जवाब चाहिए……..
शख्स —- आप थोड़े वक़्त के लिए चुप नहीं रह सकती है जब से ले आया हो तबसे बोली जा रही है……..एक तो मैंने आपकी जान बचाई और ऊपर से आप मुझ पर चिला रही है……
बिना— आप बोलते क्यूँ नहीं मुझे जवाब चाहिए……..
शख्स —- आप थोड़े वक़्त के लिए चुप नहीं रह सकती है जब से ले आया हो तबसे बोली जा रही है……..एक तो मैंने आपकी जान बचाई और ऊपर से आप मुझ पर चिला रही है……
बिना– देखिये इसके लिए में आपका शुक्रिया अदा करती हूँ लेकिन आप है कौन आपका नाम क्या है और आप इस जंगल में अकेले क्यों …….
शख्स — बस एक ही बार में कितना सवाल पूछेगी …मेरा नाम सजाद है और मै इन जंगल में अपने साथी के साथ रहता हो……..
बिना– साथी लेकिन यहाँ तो कोई नहीं है.
सजाद — है ना काशी काशी …..देखो तुमसे कोई मिलने आया है……
बिना– साथी लेकिन यहाँ तो कोई नहीं है.
सजाद — है ना काशी काशी …..देखो तुमसे कोई मिलने आया है……
बिना काशी को देखकर डर जाती है क्यूंकि वो कोई इंसान नहीं एक जानवर बाघ रहता है.बिना डर के मारे चिलाने लगती है और इधर उधर भागने लगती है और बाघ भी उस पर अपना गुस्सा दिखाने लगता है……तब तक सजाद काशी को को चुप करवाता है और बिना से शांत रहने के लिए कहता है .बिना उससे बाघ को रखने का कारन पूछती है तो सजाद उससे बताता है की वह उसे बचपन से पाल रहा है तब तक सजाद उससे अपने बारे में पूछता है ‘ की तुम कौन हो और क्यूँ जंगल में इस तरह से अकेली घूम रही है’.लेकिन बिना अपने राजकुमारी होने की पहचान छुपाती है.और कहती वो इसी नगर की निवासी है और जंगल में भटक गयी थी . तब सजाद उसे नगर वापस छोड़ देता है और बिना अपने महल चली जाती है…….वह बार बार जंगल में हुए जानवरों के साथ घटना के बारे में सोचती है…और बिना डर के मारे पिता से ये सब नहीं पूछ पा रही थी……..
कुछ समय बाद बिना अपने सहेलियों के साथ नगर में घुमने जाती है…….तो उसकी आचानक उसकी नज़र सजाद पर पड़ती है लेकिन वो राजकुमारी के वेश में उससे मिल नहीं सकती थी..इसीलिए अब बिना अक्सर नोकरानी के वेश में नगर में जाती और सजाद से मिलती ………वह दोनों आपस में बातें करते है……और धीरे धीरे दोनों में दोस्ती बढने लगती है…और बिना ने अपना नाम सजाद को यदा बता दिया ……..और इसी तरह सजाद ने अपने बाघ काशी की पहचान भी भी बिना से करवा दिया ……..और काशी भी उसे पहचानने लगा……
एक दिन बिना अपने कक्ष में रहती है तबतक उसे अपने भाई की चीख सुनाई देती है….वह भागती हुई जाती है तो उसका भाई ज्क्मी रहता है और अपने भाई को खून से लटपट देखकर डर जाती है और राजा वीर और बिना इसका कारण पूछते है तो बान बताता है की जंगल में कोई लड़का उस पर हमला बोल दिया और उसके पास के बाघ भी था…
अपने भाई से ये सब सुनते ही बिना पहचान जाती है की सजाद ने ये सब किया है….लेकिन वो समझ नहीं पाती आखिर सजाद ने ऐसा क्यूँ किया . तब तक राजा वीर बहुत गुस्साते है और पुरे जंगल में उसको खोजने के लिए अपने सेवको को भेजते है.लेकिन रात बर की खोजने के बाद भी वह नहीं मिलता है.सुबह होते ही बिना उसके झुपडी में जाती है और राजकुमार बान पर हमले के बारे में पूछती है.लेकिन सजाद कहता है की ” आपको कैसे पता की बान पर हमला मैंने किया है.बिना अपनी पहचान छुपाने के लिए झूठ बोल देती है की वो राजकुमारी बिना की सहेली है…और उसने ही मुझे बताया है की कोई जंगल में रहने वाला राजकुमार बान पर हमला किया है और उसके पास बाघ है और इसीलिए आपने वो हमला किया है क्यूँ आप ने ऐसा क्यूँ किया ..क्यूँ…..सजाद गुस्से से यदा को बताता है राजा वीर जंगल में रह रहे जानवरों को शिकार करता है और उने बेचता है ताकि उसे धन मिल सके और मैंने इसीलिए राजकुमार बान पर हमला किया .
अपने भाई से ये सब सुनते ही बिना पहचान जाती है की सजाद ने ये सब किया है….लेकिन वो समझ नहीं पाती आखिर सजाद ने ऐसा क्यूँ किया . तब तक राजा वीर बहुत गुस्साते है और पुरे जंगल में उसको खोजने के लिए अपने सेवको को भेजते है.लेकिन रात बर की खोजने के बाद भी वह नहीं मिलता है.सुबह होते ही बिना उसके झुपडी में जाती है और राजकुमार बान पर हमले के बारे में पूछती है.लेकिन सजाद कहता है की ” आपको कैसे पता की बान पर हमला मैंने किया है.बिना अपनी पहचान छुपाने के लिए झूठ बोल देती है की वो राजकुमारी बिना की सहेली है…और उसने ही मुझे बताया है की कोई जंगल में रहने वाला राजकुमार बान पर हमला किया है और उसके पास बाघ है और इसीलिए आपने वो हमला किया है क्यूँ आप ने ऐसा क्यूँ किया ..क्यूँ…..सजाद गुस्से से यदा को बताता है राजा वीर जंगल में रह रहे जानवरों को शिकार करता है और उने बेचता है ताकि उसे धन मिल सके और मैंने इसीलिए राजकुमार बान पर हमला किया .
बिना ये सब सुनकर चोंक जाती है और वो सजाद को वहा से जाने के लिए कहती है लेकिन सजाद जाने के लिए तेयार नहीं होता है.जंगल में दोनों की बात करते वक़्त राजा वीर का सेवक सुन और देख लेता है और ये सब बातें जाकर राजा वीर को बता देता है.और वो बहुत गुस्साते है और बिना के आने पर उससे पूछते है.लेकिन बिना भी अपने पिता जी से सवाल करती है आखिर क्यूँ वो जानवरों का शिकार करते है और उने बेचते है .बिना के इस बर्ताव से राजा वीर बहुत गुस्साता है और उसे जोर के थप्पड़ मार देता है.और उसे उसके ही कक्ष में बंद कर देता है.अगले दिन सजाद की खोजाई होती है और उसे पकड़ कर सारे अवद नगर वासियों के सामने लाया जाता है……इधर राजा वीर अपने पुत्र और पुत्री को बुलाते है.सजाद यदा को वहा देखकर चोंक जाता है की यदा ही राजकुमारी बिना है और उसे लगता है की यदा ने उसे धोखा दिया है और उसी के वजह से वह पकडा गया है और वो वही पर गुमसुम सा हो जाता है और ना कुछ सोच पता है और कुछ कह पता है और इधर उसके बाघ को उससे अलग कर दिया जाता जाता है काशी बहुत चिल्लाता है और उसे अंदर ले जाया जाता है और वो चिल्लाता है लेकिन थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आनी बंद हो जाती है और सजाद को लगता है कि काशी को मार दिया गया ,,
राजा वीर सबके सामने जंगल में से जानवरों के गायब होने का कारण सजाद को घोषित कर देते है.और उसे म्रत्युदंड दे दिया जाता है.सजाद को जब फांसी पर चढाया जाता है तो उसका घोडा भीड़ में से आते हुआ अपने मालिक को बचा लेता है और सजाद घोड़े पर सवार होकर वहा से भाग लेता है तब तक राजकुमार बान और उसके सेवक उसका पीछा करते है.और इधर बिना सजाद के पीछे जाने की कोशिस करती है लेकिन वो नहीं जा पाती है क्यूंकि उसके पिता उसे रुक लेते है. और इधर सजाद एक झील के किनारे पहुच जाता है और उसका पीछा करते करते राजकुमार बान झील के किनारे पहुच जाता है लेकिन सजाद अपनी जान बचाने के लिए झील में ऊपर से घोड़े सहित कूद जाता है.और सब समझते की इतनी ऊपर कूद कर वह मर गया होगा राजा वीर का वही पुराना काम फिर शुरू हो जाता है.और इधर बिना को ये खबर दे दिया जाता है की सजाद मर गया ये खबर सुनते ही बिना सूख़ सी हो जाती है.
उसे 1 साल तक केंद में रखते है और फिर उसको बाहर लाते है बिना की ज़िन्दगी जैसे थम सी जाती है और वो हमेशा सजाद के बारे में ही सोचने लगती है राजा वीर एक पिता होने के नाते उसको माफ़ कर देते है. बिना के केंद से बाहर आने के 2 साल बाद जब बिना 19साल की हो जाती है तो एक दिन वो अपनी सहेली के साथ नगर घुमने निकलती है तो उसका मन जंगल की तरफ जाने का करता हें लेकिन उसकी दोस्त मना करती है की जंगल में खतरा हो सकता है लेकिन फिर भी बिना जाती है वह उसी जगह जाती है जहा सजाद का झोपड़ी थी,,और बिना सजाद के साथ बिताये पलो को याद करने लगती है और कहती है “काश सजाद जिन्दा होता “तब तक पीछे से आवाज़ आती है…..” क्या हुआ राजकुमारी बिना सहजाद को याद कर रही है ”बिना तुरंत पीछे मुड़ती है तो उसको देखती ही रह जाती है वो कोई और नहीं सजाद ही रहता है और राजकुमारी बिना उसे देखती ही रह जाती और पहचान जाती है की वो सजाद है और थोड़ी देर के लिए माहोल शांत सा हो जाता है और बिना बिना कुछ सोचे उसके पास भागते हुए गले लग जाती है ….और रोने लगती है और कहती है आप कहा थे अब तक ….सजाद आप जिंदा है ……सजाद गुस्से से उसे अपने आप से अलग करता है और उसे बुरा भला कहता है बिना उसे समझाती है लेकिन वो नहीं समझता है …फिर सजाद वहा से जा ही रहा होता है तो बिना उससे कहती है……की ” सजाद काशी जिन्दा है ” बिना के इतना कहने पर सजाद के कदम रुक जाते है और वो बिना के पास जाता है और ख़ुशी से काशी के बारे में पूछता है बिना उसको बताती है की काशी को मारा नहीं गया था बल्कि उससे पिंजरे में केंद रखा गया है और वही उसका देखभाल करती थी.इतना सुनने के बाद सजाद काशी को वापस लाने को सोचता है और वो बिना से कहता है की ” राजकुमारी बिना मैंने आपके पिता को माफ़ नहीं किया और ना करुगा और मैं अपने आप को निर्दोष साबित करके रहूगा.थोड़ी देर बाद बिना कहती है ” और मुझे ” सजाद उसको देखने लगता है
उसे 1 साल तक केंद में रखते है और फिर उसको बाहर लाते है बिना की ज़िन्दगी जैसे थम सी जाती है और वो हमेशा सजाद के बारे में ही सोचने लगती है राजा वीर एक पिता होने के नाते उसको माफ़ कर देते है. बिना के केंद से बाहर आने के 2 साल बाद जब बिना 19साल की हो जाती है तो एक दिन वो अपनी सहेली के साथ नगर घुमने निकलती है तो उसका मन जंगल की तरफ जाने का करता हें लेकिन उसकी दोस्त मना करती है की जंगल में खतरा हो सकता है लेकिन फिर भी बिना जाती है वह उसी जगह जाती है जहा सजाद का झोपड़ी थी,,और बिना सजाद के साथ बिताये पलो को याद करने लगती है और कहती है “काश सजाद जिन्दा होता “तब तक पीछे से आवाज़ आती है…..” क्या हुआ राजकुमारी बिना सहजाद को याद कर रही है ”बिना तुरंत पीछे मुड़ती है तो उसको देखती ही रह जाती है वो कोई और नहीं सजाद ही रहता है और राजकुमारी बिना उसे देखती ही रह जाती और पहचान जाती है की वो सजाद है और थोड़ी देर के लिए माहोल शांत सा हो जाता है और बिना बिना कुछ सोचे उसके पास भागते हुए गले लग जाती है ….और रोने लगती है और कहती है आप कहा थे अब तक ….सजाद आप जिंदा है ……सजाद गुस्से से उसे अपने आप से अलग करता है और उसे बुरा भला कहता है बिना उसे समझाती है लेकिन वो नहीं समझता है …फिर सजाद वहा से जा ही रहा होता है तो बिना उससे कहती है……की ” सजाद काशी जिन्दा है ” बिना के इतना कहने पर सजाद के कदम रुक जाते है और वो बिना के पास जाता है और ख़ुशी से काशी के बारे में पूछता है बिना उसको बताती है की काशी को मारा नहीं गया था बल्कि उससे पिंजरे में केंद रखा गया है और वही उसका देखभाल करती थी.इतना सुनने के बाद सजाद काशी को वापस लाने को सोचता है और वो बिना से कहता है की ” राजकुमारी बिना मैंने आपके पिता को माफ़ नहीं किया और ना करुगा और मैं अपने आप को निर्दोष साबित करके रहूगा.थोड़ी देर बाद बिना कहती है ” और मुझे ” सजाद उसको देखने लगता है
सजाद उसके इस बात पर चोक जाता है और बिना कुछ कहे वहा से चला जाता है और बिना उसको जाते देखती ही रह जाती है कुछ समय बाद राजा वीर एक खेल का आयोज़न करता है जिसमे ये शर्त रहता है की इस खेल को जो भी जीत जायेगा तो उसे वही मिलेंगा जो वो चाहेगा.इस खेल की सुचना सजाद के पास भी जाती है और उसके पास यही रास्ता रहता है राजा वीर से काशी वापस पाने का और साथ ही साथ राजा वीर की सच्चाई अवद नगरवासियों के सामने लाने का.सजाद अपनी पूरी तैयारी करता है ये खेल पूरी तरह से जितने का और साथ ही ये पता करता है की आखिर राजा वीर ने सारे जानवरों कहा छुपा रखा है और किसे किसे देता था और उसके काले धन का भी पता लगा रहा था|
आखिर वो दिन आ ही गया होता है खेल में सभी को एक हाथी से मुकाबला करना होता है जो काफी बड़ा, मज़बूत और एक जंगली रहता है.खेल प्रारंभ होता है सब खिलाडी खेलते है.लेकिन कोई भी उस हाथी को चित नहीं कर पाता है और आखिरी में सजाद आता है लेकिन वो नकाब पहने रहता है और कोई उसे पहचान नहीं पाता है …सहजाद जीत जाता है .और राजा वीर बहुत खुश होता है और सजाद इस जीत के बदले में बाघ को मागता है जो कलाबाज़ी जानता हो और पालतू हो.राजा वीर को उसकी मांग पूरी ही करनी पड़ती है और वो अपने सेवको को बाघ काशी को लाने के लिए कहते है तब तक बिना को पता चल जाता है की वो सजाद है.बाघ सहजाद के पास आता है और सजाद उसे देखकर बहुत खुश होता है.लेकिन बाघ काशी अपने मालिक को पहचान लेता है और ख़ुशी से उछलने लगता है.तब तक उसका नकाब उतर जाता है और राजकुमार उसे पहचान लेता और उसे जिंदा देखकर हक्का बक्का रह जाता है और जोर से चिल्लाता है की वो सजाद है और वो खुद और सेवको के साथ उसे रोकने जाता है लेकिन इस बार सजाद को कोई नहीं पकड़ पाता है और वो अकेले ही सब से लड़ लेता है वो बान पर हमला कर ही रहा होता की तब तक बिना उसको आकर रुख लेती है और जाने को कहती है .लेकिन सजाद अपनी पूरी तैयारी के साथ आया रहता है उधर से उसके साथी सब पिंजरे में केंद सारे जानवरों को उठा कर ले जाते है और इधर सजाद अपने काशी को सारे कैद जानवरों से बाहर ले जाता है क्यूंकि जानकारी होने पर सजाद पहले से ही अपने साथियो को महल में घुसने के लिए कह देता है.और कामयाब भी होता है धीरे धीरे नगरवासियों को पता चलता है की राजा वीर ही जानवरों का शिकार करता था क्यूंकि जानवरों का इस तरह से महल से बाहर निकलना राजा वीर की तरफ शक का इशारा कर रहा था और सब उस पर इलज़ाम लगाने लगते है और गुस्साते है .तब तक सजाद वही खेल के मैदान में से ही राजा वीर की असलियत सब के सामने लाता है और यहाँ तक की उसके काले धन को भी प्रजा के सामने लाता है.राजा वीर अपना इस तरह से अपमान होता नहीं देख पाता है और वो … सजाद पर हमले की घोषणा करता है.तबतक सजाद वहा से अपने घोड़े के साथ भाग रहा होता है तभी उसकी नज़र बिना पर पड़ती है.और वो उसे वहा से उठा ले जाता है.काशी और सजाद भागते हुए जंगल की तरफ बड़ते है और वहा उनका पीछा राजा वीर और उसके सेवक करते है लेकिन अंत में सजाद को घेर लिया जाता है.राजा वीर सजाद को मारने ही आ रहे होते है कि तब बिना अपने पिता जी को रुक लेती है और ये सब खत्म करने के लिए कहती है .लेकिन राजा वीर नहीं मानता है और अपनी बेटी को रस्ते से हटा देता है.और वो खुद जाता है सजाद को मारने वो तलवार से वार करता ही है की तभी बाघ काशी राजा वीर के ऊपर कूद जाता है सजाद काशी को हटाता है.और राजा वीर को माफ़ करदेता है और कहता है हम अपने काशी को लेने आये थे.और अपनी बेगुनाही साबित करने और हमने कर दिया है.और आपसे यही उम्मीद करते है कि आप फिर से ये सब काम नहीं करेगे.इतना कहकर सजाद वह़ा से चला जाता है तब बिना अपने पिताजी को उठाती है और कहती है ” बस पिता जी बस कब तक आप ऐसा करते रहेगे..छोड़ दीजिये ये सब,मै आपसे हाथ जोडकर विनती करती हूँ इतना कहने पर बिना रोने लगती है तबतक राजा वीर को अपने गलती का एहसास होता है और वो उसके सर पर हाथ फेरते है और कहते है ” बेटी मुझे मेरी गलती का एहसास है पर आज मै इसकी शुरुआत आपसे करता हो.आप सजाद से प्यार करती है तो आप उसके पास जाईये .ये मेरी आज्ञा है ” बिना अपने पिता जी को मुख से ऐसा सुनकर बहुत खुश होती है और अपने पिताजी के पैर छुकर सजाद के पास भागते हुए जाती है……..जंगल में ही .सजाद उसको दिख जाता है और उसे रूकती है ……. और उसके पास जाकर कहती है …….
बिना — क्या आप मुझे नहीं ले जायेगे …..हम आपके साथ रहना चाहते है …..
सजाद — पर क्यों …
बिना — क्यूंकि हम आपसे प्यार करते है …..
थोड़ी देर के लिए दोनों एक दुसरे को देखने लगते है ….
सजाद — मैं तो यदा से प्यार करता हूँ किसी राजकुमारी बिना से नहीं ..
बिना– सजाद मैं मानती हूँ मैंने गलती की आपसे अपनी पहचान छुपाकर पर ………
सजाद — आप कुछ मत कहिये …..क्यूंकि मैंने हमेशा से यदा से ही प्यार किया ….और यदा इसी तरह मुझे जंगल मै मिलने आया करती थी ………..जैसे आप अभी आई है …….और आज यदा है मेरे साथ ……
सजाद — पर क्यों …
बिना — क्यूंकि हम आपसे प्यार करते है …..
थोड़ी देर के लिए दोनों एक दुसरे को देखने लगते है ….
सजाद — मैं तो यदा से प्यार करता हूँ किसी राजकुमारी बिना से नहीं ..
बिना– सजाद मैं मानती हूँ मैंने गलती की आपसे अपनी पहचान छुपाकर पर ………
सजाद — आप कुछ मत कहिये …..क्यूंकि मैंने हमेशा से यदा से ही प्यार किया ….और यदा इसी तरह मुझे जंगल मै मिलने आया करती थी ………..जैसे आप अभी आई है …….और आज यदा है मेरे साथ ……
सजाद के इतना कहने पर बिना …मन ही मन समझ जाती है की सजाद उससे प्यार करते है और …..वो ख़ुशी से सजाद के गले लग जाती है……….और सजाद भी बिना यानि अपनी यदा को अपना लेता है।
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