FUTURE MAKER
BY MANISH DIXIT
a
शनिवार, 12 अक्टूबर 2013
बुध ग्रह
दोस्तों पिछली पोस्ट मे हमने सूर्य और तारो के बारे जाना,आज हम बुध गृह के बारे में जानेंगे
बुध
ग्रह
की
तीन
दृश्य
रंगीन
मानचित्रों
द्वारा
क्रमशः
१०००
नै
.
मी
,
७००
नै
.
मी
एवं
४३०
नै
.
मी
तरंगदैर्घ्य
की
मैसेन्जर
अंतरिक्ष
यान
द्वारा
भेजी
गई
छवि।
उपनाम
विशेषण
मर्क्यूरियन
,
मर्क्यूरियल
,
बुधीय
[1]
कक्षीय
विशेषताएँ
[2]
युग
J2000
उपसौर
·
69,816,900
कि
.
मी
·
0.466 697 AU
अपसौर
·
46,001,200
कि
.
मी
·
0.307 499 AU
अर्ध
मुख्य
अक्ष
·
57,909,100
कि
.
मी
·
0.387 098 AU
विकेन्द्रता
0.205 630
[3]
परिक्रमण
काल
·
87.969 1 d
·
(0.240 846 a)
·
0.5
मर्क्युरी
सौर
दिवस
संयुति
काल
115.88 d
[3]
औसत
परिक्रमण
गति
47.87 km/s
[3]
माध्य
कोणान्तर
174.796°
झुकाव
·
7.005° to
इक्लिप्टिक
·
3.38° to
सौर
विषुवत
रेखा
·
6.34° to
इन्वैरिएबल
समतल
[4]
आरोह
पात
का
अनुलम्ब
48.331°
Argument of perihelion
29.124°
उपग्रह
कोई
नहीं
भौतिक
विशेषताएँ
माध्य
त्रिज्या
·
2,439.7 ± 1.0
कि
.
मी
[5][6]
·
0.3829
पृथ्वी
सपाटता
0
[6]
तल
-
क्षेत्रफल
·
7.48×10
7
कि
.
मी
2[5]
·
0.147
पृथ्वी
आयतन
·
6.083×10
10
कि
.
मी
3[5]
·
0.056
पृथ्वी
द्रव्यमान
·
3.3022×10
23
कि
.
ग्रा
g
[5]
·
0.055
पृथ्वी
माध्य
घनत्व
5.427
ग्रा
/
सें
.
मी
3[5]
विषुवतीय
सतह
गुरुत्वाकर्षण
·
3.7
मी
/
से
2
·
0.38 g
[5]
पलायन
वेग
4.25
कि
.
मी
/
सें
[5]
नाक्षत्र
घूर्णन
काल
·
58.646
दिवस
·
1407.5
घंटा
[5]
विषुवतीय
घूर्णन
वेग
10.892 km/h (3.026 m/s)
अक्षीय
नमन
2.11′ ± 0.1′
[7]
उत्तरी
ध्रुवदायां
अधिरोहण
·
18 h 44
मि
. 2
से
.
·
281.01°
[3]
उत्तरी
ध्रुवअवनमन
61.45°
[3]
अल्बेडो
·
0.068 (
बॉण्ड
)
[8]
·
0.142 (
ज्योमे
.)
[8]
सतह
का
तापमान
0°
उ
, 0°
प
[11]
85°
उ
, 0°
प
[11]
न्यून
माध्य
अधि
100 K
340 K
700 K
80 K
200 K
380 K
स्पष्ट
परिमाण
−2.6
[9]
to 5.7
[3][10]
कोणीय
व्यास
4.5" – 13"
[3]
वायु
-
मंडल
[3]
सतह
पर
दाब
नाममात्र
संघटन
·
42%
आण्विक
ऑक्सीजन
·
29.0%
सोडियम
·
22.0%
हाईड्रोजन
·
6.0%
हीलियम
·
0.5%
पोटैशियम
·
आर्गन
,
नाइट्रोजन
,
कार्बन
डाईआक्साइड
,
वाष्प
,
ज़ेनान
,
क्रिप्टान
एवं
नेयान
के
नाममात्र
बुध
(Mercury),
सौरमंडल
के
आठ
ग्रहों
में
सबसे
छोटा
और
सूर्य
से
निकटतम
है
।
इसका
परिक्रमण
काल
लगभग
88
दिवस
है
।
पृथ्वी
से
देखने
पर
,
यह
अपनी
कक्षा
के
ईर्दगिर्द
116
दिवसो
में
घूमता
नजर
आता
है
जो
कि
ग्रहों
में
सबसे
तेज
है
।
गर्मी
बनाए
रखने
के
लिहाज
से
इसका
वायुमंडल
चुंकि
करीब
करीब
नगण्य
है
,
बुध
का
भूपटल
सभी
ग्रहों
में
सर्वाधिक
तापमान
उतार
-
चढाव
महसूस
करता
है
,
जो
कि
100 K (−173 °C; −280 °F)
रात्रि
से
लेकर
भूमध्य
रेखीय
क्षेत्रों
मे
दिन
के
दरम्यान
700 K (427 °C; 800 °F)
तक
है
।
वहीं
ध्रुवों
के
तापमान
स्थायी
रुप
से
180 K (−93 °C; −136 °F)
के
नीचे
है
।
बुध
के
अक्ष
का
झुकाव
सौरमंडल
के
अन्य
किसी
भी
ग्रह
से
सबसे
कम
है
(
एक
डीग्री
का
करीब
1
⁄
30
),
परंतु
कक्षीय
विकेन्द्रता
सर्वाधिक
है
।
बुध
ग्रह
अपसौर
पर
उपसौर
की
तुलना
में
सूर्य
से
करीब
1.5
गुना
ज्यादा
दूर
होता
है
।
बुध
की
धरती
क्रेटरों
से
अटी
पडी
है
तथा
बिलकुल
हमारे
चन्द्रमा
जैसी
नजर
आती
है
,
जो
इंगित
करता
है
कि
यह
भूवैज्ञानिक
रुप
से
अरबो
वर्षों
तक
मृतप्राय
रहा
है
।
बुध
को
पृथ्वी
जैसे
अन्य
ग्रहों
के
समान
मौसमों
का
कोई
भी
अनुभव
नहीं
है
।
यह
जकडा
हुआ
है
इसलिए
इसके
घूर्णन
की
राह
सौरमंडल
में
अद्वितीय
है
।
किसी
स्थिर
खडे
सितारे
के
सापेक्ष
देखने
पर
,
यह
हर
दो
कक्षीय
प्रदक्षिणा
के
दरम्यान
अपनी
धूरी
के
ईर्दगिर्द
ठीक
तीन
बार
घूम
लेता
है
।
सूर्य
की
ओर
से
,
किसी
ऐसे
फ्रेम
ऑफ
रिफरेंस
में
जो
कक्षीय
गति
से
घूमता
है
,
देखने
पर
यह
हरेक
दो
बुध
वर्षों
में
मात्र
एक
बार
घूमता
नजर
आता
है
।
इस
कारण
बुध
ग्रह
पर
कोई
पर्यवेक्षक
एक
दिवस
हरेक
दो
वर्षों
का
देखेगा
।
बुध
की
कक्षा
चुंकि
पृथ्वी
की
कक्षा
(
शुक्र
के
भी
)
के
भीतर
स्थित
है
,
यह
पृथ्वी
के
आसमान
में
सुबह
में
या
शाम
को
दिखाई
दे
सकता
है
,
परंतु
अर्धरात्रि
को
नहीं
।
पृथ्वी
के
सापेक्ष
अपनी
कक्षा
पर
सफर
करते
हुए
यह
शुक्र
और
हमारे
चन्द्रमा
की
तरह
कलाओं
के
सभी
रुपों
का
प्रदर्शन
करता
है
।
हालांकि
बुध
ग्रह
बहुत
उज्जवल
वस्तु
जैसा
दिख
सकता
है
जब
इसे
पृथ्वी
से
देख
जाए
,
सूर्य
से
इसकी
निकटता
शुक्र
की
तुलना
में
इसे
देखना
और
अधिक
कठिन
बनाता
है
।
आंतरिक
गठन
स्थलीय
ग्रहों
के
आकार
की
तुलना
(
बायें
से
दायें
):
बुध
,
शुक्र
,
पृथ्वी
,
और
मंगल
1.
पर्पटी
—100–300
किमी
मोटा
2.
प्रावार
—600
किमी
मोटा
3.
क्रोड
—1,800
किमी
त्रिज्या
बुध
ग्रह
सौरमंडल
के
चार
स्थलीय
ग्रहों
में
से
एक
है
,
तथा
यह
पृथ्वी
के
समान
एक
चट्टानी
पिंड
है
।
यह
2,439.7
किमी
की
विषुववृत्तिय
त्रिज्या
वाला
सौरमंडल
का
सबसे
छोटा
ग्रह
है
।
[3]
बुध
ग्रह
सौरमंडल
के
बडे
उपग्रहों
गेनिमेडऔर
टाइटन
से
भी
छोटा
है
,
हालांकि
यह
उनसे
भारी
है
।
बुध
तकरीबन
70%
धातु
व
30%
सिलिकेट
पदार्थ
का
बना
है
।
[12]
बुध
का
5.427
ग्राम
/
सेमी
3
का
घनत्व
सौरमंडल
में
उच्चतम
के
दूसरे
क्रम
पर
है
,
यह
पृथ्वी
के
5.515
ग्राम
/
सेमी
3
के
घनत्व
से
मात्र
थोडा
सा
कम
है
।
[3]
यदि
गुरुत्वाकर्षण
संपीड़न
के
प्रभाव
को
गुणनखंडो
मे
बांट
दिया
जाए
,
तब
5.3
ग्राम
/
सेमी
3
बनाम
पृथ्वी
के
4.4
ग्राम
/
सेमी
3
के
असंकुचित
घनत्व
के
साथ
,
बुध
जिस
पदार्थ
से
बना
है
वह
सघनतम
होगा
।
[13]
बुध
का
घनत्व
इसके
अंदरुनी
गठन
के
विवरण
के
अनुमान
के
लिए
प्रयुक्त
हो
सकता
है
।
पृथ्वी
का
उच्च
घनत्व
उसके
प्रबल
गुरुत्वाकर्षण
संपीड़न
के
कारण
काफी
है
,
विशेष
रूप
से
कोर
का
,
इसके
विपरित
बुध
बहुत
छोटा
है
और
उसके
भीतरी
क्षेत्र
उतने
संकुचित
नहीं
हुए
हैं
।
इसलिए
,
इस
तरह
के
किसी
उच्च
घनत्व
के
लिए
,
इसका
कोर
बडा
और
लौह
से
समृद्ध
अवश्य
होना
चहिए
।
[14]
भूवैज्ञानिकों
का
आकलन
है
कि
बुध
का
कोर
अपने
आयतन
का
लगभग
42%
हिस्सा
घेरता
है
;
पृथ्वी
के
लिए
यह
अनुपात
17%
है
।
अनुसंधान
बताते
है
कि
बुध
का
एक
द्रवित
कोर
है
।
[15][16]
यह
कोर
500–700
किमी
के
सिलिकेट
से
बने
मेंटल
से
घिरा
है
।
[17][18]
मेरिनर
10
के
मिशन
से
मिले
आंकडो
और
भूआधारित
प्रेक्षणों
के
आधार
पर
बुध
की
पर्पटी
का
100–300
किमी
मोटा
होना
माना
गया
है
।
[19]
बुध
की
धरती
की
एक
विशिष्ट
स्थलाकृति
अनेकों
संकीर्ण
चोटीयों
की
उपस्थिति
है
जो
लंबाई
में
कई
सौ
किलोमीटर
तक
फैली
है
।
यह
माना
गया
है
कि
ये
तब
निर्मित
हुई
थी
जब
बुध
के
कोर
व
मेंटल
ठीक
उस
समय
ठंडे
और
संकुचित
किए
गए
जब
पर्पटी
पहले
से
ही
जम
चुकी
थी
।
[20]
बुध
का
कोर
सौरमंडल
के
किसी
भी
अन्य
बडे
ग्रह
की
तुलना
में
उच्च
लौह
सामग्री
वाला
है
,
तथा
इसे
समझाने
के
लिए
कई
सिद्धांत
प्रस्तावित
किए
गए
है
।
सर्वाधिक
व्यापक
रूप
से
स्वीकार
किया
गया
सिद्धांत
यह
है
कि
बुध
आम
कोंड्राइट
उल्कापिंड
की
तरह
ही
मूल
रूप
से
एक
धातु
-
सिलिकेट
अनुपात
रखता
था
,
जो
कि
सौरमंडल
के
चट्टानी
पदार्थ
में
दुर्लभ
समझा
गया
,
साथ
ही
द्रव्यमान
इसके
मौजूदा
द्रव्यमान
का
करीब
2.25
गुना
माना
गया
।
[21]
सौरमंडल
के
इतिहास
के
पूर्व
में
,
बुध
ग्रह
कई
सौ
किलोमीटर
लम्बे
-
चौडे
व
लगभग
1/6
द्रव्यमान
के
किसी
ग्रहाणु
द्वारा
ठोकर
मारा
हुआ
हो
सकता
है
।
[21]
टक्कर
ने
मूल
पर्पटी
व
मेंटल
के
अधिकांश
भाग
को
दूर
छिटक
दिया
होगा
,
और
पीछे
अपेक्षाकृत
मुख्य
घटक
के
रूप
में
एक
कोर
को
छोडा
होगा
।
[21]
इसी
तरह
की
प्रक्रिया
,
जिसे
भीमकाय
टक्कर
परिकल्पना
के
रूप
में
जाना
जाता
है
,
चंद्रमा
के
गठन
की
व्याख्या
करने
के
लिए
प्रस्तावित
की
गई
है
।
[21]
नामकरण
ग्रहीय
प्रणाली
नामकरण
के
कार्य
समूह
ने
बुध
पर
पांच
घाटियों
के
लिए
नए
नामों
को
मंजूरी
दी
है
:
एंगकोर
घाटी
(Angkor Vallis),
कैहोकीया
घाटी
(Cahokia Vallis),
कैरल
घाटी
(Caral Vallis),
पाएस्टम
घाटी
(Paestum Vallis),
टिमगेड
घाटी
(Timgad Vallis)
।
[22]
इतिहास
रोमन
मिथको
के
अनुसार
बुध
व्यापार
,
यात्रा
और
चोर्यकर्म
का
देवता
,
युनानी
देवता
हर्मीश
का
रोमन
रूप
,
देवताओ
का
संदेशवाहक
देवता
है।
इसे
संदेशवाहक
देवता
का
नाम
इस
कारण
मिला
क्योंकि
यह
ग्रह
आकाश
मे
काफी
तेजी
से
गमन
करता
है।
बुध
को
ईसा
से
३
सहस्त्राब्दि
पहले
सूमेरीयन
काल
से
जाना
जाता
रहा
है।
इसे
कभी
सूर्योदय
का
तारा
,
कभी
सूर्यास्त
का
तारा
कहा
जाता
रहा
है।
ग्रीक
खगोल
विज्ञानियो
को
ज्ञात
था
कि
यह
दो
नाम
एक
ही
ग्रह
के
हैं।
हेराक्लीटस
यहां
तक
मानता
था
कि
बुध
और
शुक्र
पृथ्वी
की
नही
,
सूर्य
की
परिक्रमा
करते
है।
बुध
पृथ्वी
की
तुलना
मे
सूर्य
के
समीप
है
इसलिये
पृथ्वी
से
उसकी
चन्द्रमा
की
तरह
कलाये
दिखायी
देती
है।
गैलीलीयो
की
दूरबीन
छोटी
थी
जिससे
वे
बुध
की
कलाये
देख
नही
पाये
लेकिन
उन्होने
शुक्र
की
कलायें
देखी
थी।
चुंबकीय
क्षेत्र
ग्राफ
बुध
की
चुंबकीय
क्षेत्र
की
शक्ति
दिखा
रहा
है
।
छोटे
आकार
और
59-
दिवसीय
-
लंबे
धीमे
घूर्णन
के
बावजुद
बुध
का
एक
उल्लेखनीय
और
वैश्विक
चुंबकीय
क्षेत्र
है
।
मेरिनर
10
से
लिए
गए
मापनों
के
अनुसार
यह
पृथ्वी
की
तुलना
में
लगभग
1.1%
सर्वशक्तिशाली
है
।
इस
चुंबकीय
क्षेत्र
की
शक्ति
बुध
के
विषुववृत्त
पर
करीब
300 nT
है
।
[23][24]
पृथ्वी
के
तरह
ही
बुध
का
चुंबकीय
क्षेत्र
भी
द्विध्रुवीय
है
।
[25]
पृथ्वी
के
विपरित
,
बुध
के
ध्रुव
ग्रह
के
घूर्णी
अक्ष
के
करीबन
सीध
में
है
।
[26]
मेरिनर
10
और
मेसेंजर
दोनों
से
मिले
मापनों
ने
दर्शाया
है
कि
चुंबकीय
क्षेत्र
का
आकार
और
उसकी
शक्ति
स्थायी
है
।
[26]
आधुनिक
खगोल
विज्ञान
अभी
तक
दो
अंतरिक्ष
यान
मैरीनर
१०
तथा
मैसेन्जर
बुध
ग्रह
जा
चूके
है।
मैरीनर
-
१०
सन
१९७४
तथा
१९७५
के
मध्य
तीन
बार
इस
ग्रह
की
यात्रा
कर
चूका
है।
बुध
ग्रह
की
सतह
के
४५
%
का
नक्शा
बनाया
जा
चुका
है।
(
सूर्य
के
काफी
समीप
होने
से
हब्ब्ल
दूरबीन
उसके
बाकी
क्षेत्र
का
नक्शा
नही
बना
सकती
है।
)
मैसेन्जर
यान
२००४
मे
नासा
द्वारा
प्रक्षेपित
किया
गया
था।
यह
यान
भविष्य
मे
२०११
मे
बुध
की
परिक्रमा
करेगा।
इसके
पहले
जनवरी
२००८
मे
इस
यान
ने
मैरीनर
१०
द्वारा
न
देखे
गये
क्षेत्र
की
उच्च
गुणवत्ता
वाली
तस्वीरे
भेंजी
थी।
बुध
की
कक्षा
काफी
ज्यादा
विकेन्द्रीत
(eccentric)
है
,
इसकी
सूर्य
से
दूरी
४६
,
०००
,
०००
किमी
(perihelion )
से
७०
,
०००
,
०००
किमी
(aphelion)
तक
रहती
है।
जब
बुध
सूर्य
के
नजदिक
होता
है
तब
उसकी
गति
काफी
धिमी
होती
है।
१९
वी
शताब्दि
मे
खगोलशास्त्रीयो
ने
बुध
की
कक्षा
का
सावधानी
से
निरिक्षण
किया
था
लेकिन
न्युटन
के
नियमों
के
आधार
पर
वे
बुध
की
कक्षा
को
समझ
नही
पा
रहे
थे।
बुध
की
कक्षा
न्युटन
के
नियमो
का
पालन
नही
करती
है।
निरिक्षित
कक्षा
और
गणना
की
गयी
कक्षा
मे
अंतर
छोटा
था
लेकिन
दशको
तक
परेशान
करनेवाला
था।
पहले
यह
सोचा
गया
कि
बुध
की
कक्षा
के
अंदर
एक
और
ग्रह
(
वल्कन
)
हो
सकता
है
जो
बुध
की
कक्षा
को
प्रभवित
कर
रहा
है।
काफी
निरिक्षण
के
बाद
भी
ऐसा
कोई
ग्रह
नही
पाया
गया।
इस
रहस्य
का
हल
काफी
समय
बाद
आइंस्टाइन
के
साधारण
सापेक्षतावाद
के
सिद्धांत
(General Theory of Relativity)
ने
दिया।
बुध
की
कक्षा
की
सही
गणना
इस
सिद्धांत
के
स्वीकरण
की
ओर
पहला
कदम
था।
बुध
के
उत्तरी
ध्रुव
की
राडार
छवि
१९६२
तक
यही
सोचा
जाता
था
कि
बुध
का
एक
दिन
और
वर्ष
एक
बराबर
होते
है
जिससे
वह
अपना
एक
ही
पक्ष
सूर्य
की
ओर
रखता
है।
यह
उसी
तरह
था
जिस
तरह
चन्द्रमा
का
एक
ही
पक्ष
पृथ्वी
की
ओर
रहता
है।
लेकिन
डाप्लर
सिद्धाण्त
ने
इसे
गलत
साबीत
कर
दिया।
अब
यह
माना
जाता
है
कि
बुध
के
दो
वर्ष
मे
तीन
दिन
होते
है।
अर्थात
बुध
सूर्य
की
दो
परिक्रमा
मे
अपनी
स्व्यं
की
तीन
परिक्रमा
करता
है।
बुध
और
मंडल
मे
अकेला
पिंड
है
जिसका
कक्षा
/
घुर्णन
का
अनुपात
१
:
१
नही
है।
(
वैसे
बहुत
सारे
पिंडो
मे
ऐसा
कोई
अनुपात
ही
नही
है।
)
बुध
की
कक्षा
मे
सूर्य
से
दूरी
मे
परिवर्तन
के
तथा
उसके
कक्षा
/
घुर्णन
के
अनुपात
का
बुध
की
सतह
पर
कोई
निरिक्षक
विचित्र
प्रभाव
देखेगा।
कुछ
अक्षांसो
पर
निरिक्षक
सूर्य
को
उदित
होते
हुये
देखेगा
और
जैसे
जैसे
सूर्य
क्षितिज
से
उपर
शीर्षबिंदू
तक
आयेगा
उसका
आकार
बढता
जायेगा।
इस
शीर्षबिंदू
पर
आकर
सूर्य
रूक
जायेगा
और
कुछ
देर
विपरित
दिशा
मे
जायेगा
और
उसके
बाद
फिर
रूकेगा
और
दिशा
बदल
कर
आकार
मे
घटते
हुये
क्षितिज
मे
जाकर
सूर्यास्त
हो
जायेगा।
इस
सारे
समय
मे
तारे
आकाश
मे
सूर्य
से
तिन
गुना
तेजी
से
जाते
दिखायी
देंगे।
निरिक्षक
बुध
की
सतह
पर
विभिन्न
स्थानो
अलग
अलग
लेकिन
विचित्र
सूर्य
की
गति
को
देखेगा।
बुध
की
सतह
पर
तापमान
९०
डीग्री
केल्वीन
से
७००
डीग्री
केल्वीन
तक
जाता
है।
शुक्र
पर
तापमान
इससे
गर्म
है
लेकिन
स्थायी
है।
वातावरण
बुध
पर
एक
हल्का
वातावरण
है
जो
मुख्यतः
सौर
वायु
से
आये
परमाणुओ
से
बना
है।
बुध
बहुत
गर्म
है
जिससे
ये
परमाणु
उड़कर
अंतरिक्ष
मे
चले
जाते
है।
ये
पृथ्वी
और
शुक्र
के
विपरीत
है
जिसका
वातावरण
स्थायी
है
,
बुध
का
वातावरण
नविन
होते
रहता
है।
भूपटल
बुध
की
सतह
पर
गढ्ढे
काफी
गहरे
है
,
कुछ
सैकड़ो
किमी
लम्बे
और
तीन
किमी
तक
गहरे
है।
ऐसा
प्रतित
होता
है
कि
बुध
की
सतह
लगभग
०
.
१
%
संकुचित
हुयी
है।बुध
की
सतह
पर
कैलोरीस
घाटी
है
जो
लगभग
१३००
किमी
व्यास
की
है।
यह
चन्द्रमा
के
मारीया
घाटी
के
जैसी
है।
शायद
यह
भी
किसी
धूमकेतु
या
क्षुद्रग्रह
के
टकराने
से
बनी
है।
इन
गड्डो
के
अलाबा
बुध
ग्रह
मे
कुछ
सपाट
पठार
भी
है
जो
शायद
भूतकाल
के
ज्वालामुखिय
गतिविधीयो
से
बने
है।
जल
की
उपस्थिति
मैरीनर
से
प्राप्त
आंकड़े
बताते
है
कि
बुध
पर
कुछ
ज्वालामुखिय
गतिविधीयां
है
लेकिन
इसे
प्रमाणित
करने
कुछ
और
आंकड़े
चाहिये।
आश्चर्यजनक
रूप
से
बुध
के
उत्तरी
ध्रुवो
के
गड्डो
मे
पानी
की
बर्फ
के
प्रमाण
मीले
है।
चन्द्रमा
बुध
का
कोई
भी
ज्ञात
चन्द्रमा
नही
है।
बुध
का
चन्द्रमा
शून्य
है
खगोलिय
निरिक्षण
बुध
सामान्यतः
नंगी
आंखो
से
सूर्यास्त
के
बाद
या
सूर्योदय
से
ठीक
पहले
देखा
जा
सकता
है।
बुध
सूर्य
के
काफी
समीप
होने
से
इसे
देखना
मुश्किल
होता
है।
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